Daily Charts

Most Popular on 25th of June, 2021
🌟Lesson 1 - weekly /monthly breakout push stock price 30/50% higher in 2/3 weeks.

Ex- #sastasundar after breakout 145/155 zone , stocks in 2/3 weeks given 30/40% return.

And in 2/3 months it was double 💞 https://t.co/9kkc3IV4Lo


🌟Lesson 2 - if stock is making same pattern ( in 2 /3hours chart) after given breakout of (weekly /monthly chart) , then chances of stock going up is much more.

Ex - #HGS after given breakout of Trendline ( range) in monthly chart, again making same pattern 4 hours chart. 💞


🌟Lesson 3- if stock never come to retest it's weekly & monthly breakout zone then the chances of it's 2x is much more.

EX - #happiestmind everytime consolidating & making new high. 💞

@chartmojo
@charts_breakout


🌟Lesson 4 - when whole market fall still strongest stocks only consolidate or move down very little.

Ex - when this march market took correction 800/1000 points #jindalpoly just consolidating from that time.
Now ready for new high . 💞


🌟Lesson 5 - when market recover the strongest stocks recover very fast & will make new high.
Ex - #happiestmind when market take little correction & again bounce little , then #happiestmind made new high before market .
Most Popular on 24th of June, 2021
🌺श्रीरामचरितमानस घर में रखने का महत्व और पाठ करने के लाभ 🌺

जिस घर में प्रतिमाह पूर्णिमा को रामायण का पाठ होता है, उस घर में अकाल मृत्यु नहीं होती है।

जिस घर में श्री रामचरितमानस रखी होती है वहां कभी भूत, पिशाच, प्रेतों का
वास नहीं होता।


जिस घर में रामायण के पास शाम के समय
देशी गाय के घी का दीपक जलाया जाता है ,उस घर में अन्न की कमी कभी नहीं होती है।

जिस घर में श्री रामचरितमानस के पास
सुबह शाम गौ माता के घी का दीपक
प्रतिदिन जलाया जाता है ,
उस घर में आरोग्य बढ़ता है।
बीमारियां कम होती हैं।


जिस घर में श्री रामचरितमानस की
शाम के समय देशी गाय के घी का दीपक जलाकर श्री रामचरितमानस की आरती
प्रतिदिन होती है उस घर पर श्रीराम जी की
कृपा सदैव रहती है, और घर में शांति का वातावरण रहता है। प्रभु की कृपा रहती है।


जिस घर में प्रति सप्ताह रामायण पाठ होता है,उस घर पर प्रभु श्रीराम और माता सीता की कृपा हमेशा बनी रहती है।बच्चों की बलबुद्धि में वृद्धि होती है।

जिस घर में प्रतिदिन रामायण पाठ होता है, उस पर श्रीराम,माता सीता,महादेव, हनुमानजी,शनि-देव,नव-ग्रह व सभी देवी-देवताओं की कृपा रहती है ।


जिस घर में प्रतिदिन रामायण पाठ होता है,उस घर से दरिद्रता भाग जाती है, उस परिवार की यशवृद्धि होती है, उस घर पर मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है। बच्चों को कभी भय नहीं लगता। भूत, प्रेत, पिशाच वहां कभी प्रवेश नहीं कर सकते। वह घर सुख, समृद्धि, शन्ति, धन,अन्न,सन्तान,मित्र...
Most Popular on 23rd of June, 2021
Most Popular on 22nd of June, 2021
Most Popular on 21st of June, 2021
हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी हैं यह सभी जानते हैं।

पर अगर आपको बताया जाए कि उनका विवाह हुआ था तो शायद आप सब अचंभित हो जाएंगे।

हैं ना..??!!


तेलंगाना के खम्मम जिले में एक मंदिर है जहां हनुमानजी और उनकी पत्नी सुवर्चला देवी की प्रतिमा प्रतिष्ठित है और आज भी स्थानीय लोग ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को इनके विवाह का उत्सव मनाने हैं। 😇🙏

अब आप सोच रहे होंगे कि अगर हनुमान जी विवाहित हैं तो ब्रह्मचारी कैसे?! 😅


आइए जानते हैं इसके पीछे का रहस्य...

हनुमान जी को भगवान सूर्य देव से नव निधियों का ज्ञान प्राप्त करना था। सूर्य देव ने ५ निधियों का ज्ञान तो हनुमान जी को से दिया पर शेष ४ के लिए उनके सामने एक समस्या खड़ी हो गई..


उन ४ निधियों का ज्ञान पाने के लिए विवाहित होना अनिवार्य था। हनुमान जी ने कहा कि में तो ब्रह्मचारी हूं मैं कैसे विवाह कर सकता हूं
भगवान सूर्य नारयण ने समाधान बताते हुए कहा कि उन्हे और उनकी पत्नी संध्या देवी को विश्वकर्मा जी की कृपा से एक पुत्री प्राप्त हुई है जिसका नाम सुवर्चला है


सूर्य देव ने कहा कि क्यूंकि सुवर्चला उनके प्रकाश से उत्पन्न हुई हैं, इसलिए उनको हनुमान जी के अलावा कोई और धारण करने में समर्थ नहीं। वे परम तपस्विनी हैं इसलिए विवाहोप्रांत तपस्या में फिर से लीन हो जाएंगी। इस कारण हनुमान जी का ब्रह्मचर्य अखंड रहेगा। समस्या का उचित निराकरण जान कर
🌺मार्कंडेय ऋषी की कथा🌺

मृगशृंग नामक एक ऋषि थे जिनका विवाह सुवृता के संग संपन्न हुआ। मृगश्रृंग और सुवृता के घर एक पुत्र ने जन्म लिया। उनका पुत्र हमेशा अपना शरीर खुजलाते रहते थे। इसलिए मृगश्रृंग ने उनका नाम मृकण्डु रख दिया। मृकण्डु में समस्त श्रेष्ठ गुण थे।


पिता के पास रहकर उन्होंने वेदों व शास्त्रों का अधययन किया।पिता की आज्ञा अनुसार उन्होने मृदगुल मुनि की कन्या मरुद्वती से विवाह किया।उनका वैवाहिक जीवन शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा था लेकिन बहुत समय तक उनके घर किसी संतान ने जन्म नहीं लिया था।इस कारण उन्होने अपनी पत्नी सहित कठोर तप किया।

तपस्या करके उन्होने भगवान शिव को प्रसन्न कर लिया तब शिवजी उनके सम्मुख प्रकट हुए और कहा,"हे मुनि! मांगो क्या वर मांगते हो।"
मुनि मृकण्डु ने कहा,"प्रभु! यदि आप सच मे हमारी तपस्या से प्रसन्न हैं तो हमें संतान के रूप में एक पुत्र प्रदान करें।"


महादेव ने तब मृकंडु ऋषि से कहा,"हे मुनि! तुम्हें दीर्घायु वाला गुणरहित पुत्र चाहिए या 16 वर्ष की आयु वाला गुणवान पुत्र चाहते हो?" तब मुनि बोले," भगवन मुझे ऐसा पुत्र चाहिए जो अत्यंत गुणवान और ज्ञानी हो, फिर चाहे वो अल्पायु ही क्यों न हो।"

भगवान शिव ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया और अंतर्ध्यान हो गए। समय आने पर ऋषि मृकंडु और मरुद्वती के घर एक बालक ने जन्म लिया जो आगे चलकर मार्कंडेय ऋषि के नाम से प्रसिद्ध हुआ। महामुनि मृकंडु ने मार्कंडेय को हर प्रकार की शिक्षा दी। मार्कंडेय एक आज्ञाकारी पुत्र थे।
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