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चले राम लछिमन मुनि संगा।
गए जहाँ जग पावनि गंगा॥
गाधिसूनु सब कथा सुनाई।
जेहि प्रकार सुरसरि महि आई॥
तब प्रभु रिषिन्ह समेत नहाए।
बिबिध दान महिदेवन्हि पाए॥
हरषि चले मुनि बृंद सहाया।
बेगि बिदेह नगर निअराया॥


पुर रम्यता राम जब देखी।
हरषे अनुज समेत बिसेषी॥
बापीं कूप सरित सर नाना।
सलिल सुधासम मनि सोपाना॥
गुंजत मंजु मत्त रस भृंगा।
कूजत कल बहुबरन बिहंगा॥
बरन बरन बिकसे बनजाता।
त्रिबिध समीर सदा सुखदाता॥


सुमन बाटिका बाग बन बिपुल बिहंग निवास।
फूलत फलत सुपल्लवत सोहत पुर चहुँ पास॥
बनइ न बरनत नगर निकाई।
जहाँ जाइ मन तहँइँ लोभाई॥
चारु बजारु बिचित्र अँबारी।
मनिमय बिधि जनु स्वकर सँवारी


धनिक बनिक बर धनद समाना।
बैठे सकल बस्तु लै नाना।
चौहट सुंदर गलीं सुहाई।
संतत रहहिं सुगंध सिंचाई॥
मंगलमय मंदिर सब केरें।
चित्रित जनु रतिनाथ चितेरें॥
पुर नर नारि सुभग सुचि संता।
धरमसील ग्यानी गुनवंता॥


अति अनूप जहँ जनक निवासू।
बिथकहिं बिबुध बिलोकि बिलासू॥
होत चकित चित कोट बिलोकी।
सकल भुवन सोभा जनु रोकी॥
धवल धाम मनि पुरट पट सुघटित नाना भाँति।
सिय निवास सुंदर सदन सोभा किमि कहि जाति॥
#ज्योतिष_विज्ञान #Medical_Astrology #चिकित्सीय_ज्योतिष
चिकित्सीय ज्योतिष के विषय मे बात करती हूँ तो अक्सर लोग हैरान हो जाते हैं कि कैसे बिना जांच के पूर्व में हुए/वर्तमान के/या भविष्य में होने वालें रोगों के विषय मे बिना जाँच के सटीक जानकारी सिर्फ जातक की कुंडली से निकल आती है।


हमें समझना होगा कि ज्योतिष गणनाओं पर आधारित एक विशुद्ध विज्ञान है। कुंडली की सटीकता/समय इत्यादि सही होने चाहिए तो व्यक्ति की शारीरिक संरचना से लेकर आंतरिक रोगों भी की कही जाती है।
दुःख ये है कि आजकल इस विद्या में जरूरत से ज्यादा प्रोफेशनल बनकर कुछ लोग इस विद्या को बदनाम करते हैं


बारह भावों, नव ग्रहों, नक्षत्रों, ग्रहों के अंश, भाव स्वामी, विभिन्न भावों उनकी उपस्थिति, दृष्टि संबंध, षोडशवर्ग, महादशा व अन्य दशाएँ इत्यादि और भी बहुत से तथ्यों पर गणना होती है। ज्योतिष के 12 भावों में अंगों की गणना कालपुरुष कुंडली कही जाती है।


आज कुंडली के भावों में कैसे शरीर के विभिन्न अंगों पर ज्योतिषीय आधार से हम रोग के विषय मे बताते हैं ये दिखाना चाहूंगी। ताकि ज्योतिष को अंधविस्वास न मान आप उसके वैज्ञानिक पहलुओं को समझ सकें।
आप लोगों की जिज्ञासा हुई तो आने वाले समय इससे आगे भी लिखने का प्रयास करूँगी।


लिखने को तो बहुत कुछ होता है पर यहां संक्षेप में लिखूँगी।
सूर्य- हड्डियाँ, हृदय, पित्त
चंद्रमा- मस्तिष्क, निद्रारोग, कफ विकार, जलतत्व
मंगल- लाल रक्त कणिकाएं(हीमोग्लोबिन), रक्त सम्बन्धी रोग, चोट, सर्जरी
बुध- त्वचा, त्वचा रोग, ENT वर्टिगो, स्पीच डिसऑर्डर, फेफड़े, नपुसंकता