The #PremierLeagueOfBondThemes table as we enter Matchday 5. OHMSS has been treated shamefully so far, but surely it will chalk up its first win against Another Way to Die (you should have at least tried to find some rhymes for Quantum of Solace you cowards!) Vote below...

#PremierLeagueOfBondThemes Matchday 5
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(Key to track titles which aren’t named after the film
Nobody Does it Better=Spy Who Loved Me
Writing’s on the Wall=Spectre
All Time High=Octopussy
We Have all the Time in the World=secondary theme OHMSS
Another Way to Die=QoS
You Know My Name=Casino Royale)

More from Culture

मुंबईतील प्रसिद्ध किताबखाना ला लागलेली आग आपल्या सर्वांच्या मनाला चटका लावणारी होती. त्या आगीत सुमारे 95 लाख किमतीच्या 45,000 पुस्तकांचं नुकसान झालं. एकूण नुकसान दोन कोटींच्या घरात गेलं. तरीही किताबखाना पुन्हा सुरू करण्याचं स्वप्न आहे समीर आणि अमृता सोमैया यांचं.
#Thread

त्यांनीच दहा वर्षांपूर्वी मुंबईत ही सुंदर स्पेस तयार केली.त्यांच्या जगप्रवासात विविध पुस्तकांनी त्यांना वेड लावलं.अशी एक कम्युनिटी स्पेस मुंबईतही करायची,या ध्येयाने त्यांनी किताबखानाची निर्मिती केली.अमृताचे वडील प्रसिद्ध आर्किटेक्ट जगदीश मिस्त्री यांनी किताबखाना डिझाईन केला होता.

लाईव इवेंट्स, पुस्तक वाचन, काला घोडा फेस्ट्वलचे कार्यक्रम, उत्तमोत्तम पुस्तकं, लहान मुलांसाठीचा पुस्तकांचा स्वतंत्र विभाग ही किताबखानाची सर्व खासियत कायम राहणार आहे.
सध्या तिथे रिस्टोरेशनचं काम सुरू आहे. समीर आणि अमृता यांची मी घेतलेली मुलाखत आणि बातमी शेअर करत आहे.

दोन मार्चला किताबखाना वाचकांसाठी पुन्हा सुरू करायचा समीर आणि अमृता सोमैया यांचा प्रयत्न आहे. किताबखाना कॅफे आता इनहाऊस चालवला जाईल. @JairajSinghR @KitabKhanaBooks @UpadhyayaP12

Mumbai's iconic @KitabKhanaBooks is getting ready to reopen after gutted in fire and hit by the #Lockdown
My story via @timesofindia
Read what Samir and Amrita Somaiya have to say, who created this beautiful community space in #SoBo #Mumbai #Bookstore

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राम-रावण युद्ध समाप्त हो चुका था। जगत को त्रास देने वाला रावण अपने कुटुम्ब सहित नष्ट हो चुका था।श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ और अयोध्या नरेश श्री राम के नेतृत्व में चारों दिशाओं में शन्ति थी।
अंगद को विदा करते समय राम रो पड़े थे ।हनुमान को विदा करने की शक्ति तो राम में थी ही नहीं ।


माता सीता भी हनुमान को पुत्रवत मानती थी। अत: हनुमान अयोध्या में ही रह गए ।राम दिनभर दरबार में, शासन व्यवस्था में व्यस्त रहते थे। संध्या को जब शासकीय कार्यों में छूट मिलती तो गुरु और माताओं का कुशल-मंगल पूछ अपने कक्ष में जाते थे। परंतु हनुमान जी हमेशा उनके पीछे-पीछे ही रहते थे ।


उनकी उपस्थिति में ही सारा परिवार बहुत देर तक जी भर बातें करता ।फिर भरत को ध्यान आया कि भैया-भाभी को भी एकांत मिलना चाहिए ।उर्मिला को देख भी उनके मन में हूक उठती थी कि इस पतिव्रता को भी अपने पति का सानिध्य चाहिए ।

एक दिन भरत ने हनुमान जी से कहा,"हे पवनपुत्र! सीता भाभी को राम भैया के साथ एकांत में रहने का भी अधिकार प्राप्त है ।क्या आपको उनके माथे पर सिन्दूर नहीं दिखता?इसलिए संध्या पश्चात आप राम भैया को कृप्या अकेला छोड़ दिया करें "।
ये सुनकर हनुमान आश्चर्यचकित रह गए और सीता माता के पास गए ।


माता से हनुमान ने पूछा,"माता आप अपने माथे पर सिन्दूर क्यों लगाती हैं।" यह सुनकर सीता माता बोलीं,"स्त्री अपने माथे पर सिन्दूर लगाती है तो उसके पति की आयु में वृद्धि होती है और वह स्वस्थ रहते हैं "। फिर हनुमान जी प्रभु राम के पास गए ।