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"Coming to the Indian Scene"

It's not new that a few pharmaceutical companies give expensive gifts, distribute cash and pay for extravagant pleasure trips of doctors willing to push their products. In turn the companies increase the price of the drugs to recover this amount.


Why aren't these companies & doctors involved punished?

One RTI on the same in 2016 revealed names of 20 firms charged with bribing doctors, medical shopkeepers & unauthorised medical practitioners to sell their pharma prods.

None of these 20 companies are Ayurvedic companies.

Unfortunately there are no laws to deal with this.

Some people have dared to submit a few evidences on this but in vain.

Coming to the hot topic of Dr. John Austin. As @madhukishwar ji mentioned in her thread that, the #IMA President said,

"It’s only grace of God Almighty that helps us to get over the crisis and stay safe, and it was his grace that protected us."

If Dr John Austin, a man of Science, points out that 'only God can help us', then what are the doctors meant to do?

Dr. John Austin had problems with #BabaRamdev 's statements. Why? Doesn't he himself tell that the lord Almighty can only help and protect us?
🌺श्री गरुड़ पुराण - संक्षिप्त वर्णन🌺

हिन्दु धर्म के 18 पुराणों में से एक गरुड़ पुराण का हिन्दु धर्म में बड़ा महत्व है। गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद सद्गती की व्याख्या मिलती है। इस पुराण के अधिष्ठातृ देव भगवान विष्णु हैं, इसलिए ये वैष्णव पुराण है।


गरुड़ पुराण के अनुसार हमारे कर्मों का फल हमें हमारे जीवन-काल में तो मिलता ही है परंतु मृत्यु के बाद भी अच्छे बुरे कार्यों का उनके अनुसार फल मिलता है। इस कारण इस पुराण में निहित ज्ञान को प्राप्त करने के लिए घर के किसी सदस्य की मृत्यु के बाद का समय निर्धारित किया गया है...

..ताकि उस समय हम जीवन-मरण से जुड़े सभी सत्य जान सकें और मृत्यु के कारण बिछडने वाले सदस्य का दुख कम हो सके।
गरुड़ पुराण में विष्णु की भक्ति व अवतारों का विस्तार से उसी प्रकार वर्णन मिलता है जिस प्रकार भगवत पुराण में।आरम्भ में मनु से सृष्टि की उत्पत्ति,ध्रुव चरित्र की कथा मिलती है।


तदुपरांत सुर्य व चंद्र ग्रहों के मंत्र, शिव-पार्वती मंत्र,इन्द्र सम्बंधित मंत्र,सरस्वती मंत्र और नौ शक्तियों के बारे में विस्तार से बताया गया है।
इस पुराण में उन्नीस हज़ार श्लोक बताए जाते हैं और इसे दो भागों में कहा जाता है।
प्रथम भाग में विष्णुभक्ति और पूजा विधियों का उल्लेख है।

मृत्यु के उपरांत गरुड़ पुराण के श्रवण का प्रावधान है ।
पुराण के द्वितीय भाग में 'प्रेतकल्प' का विस्तार से वर्णन और नरकों में जीव के पड़ने का वृत्तांत मिलता है। मरने के बाद मनुष्य की क्या गति होती है, उसका किस प्रकार की योनियों में जन्म होता है, प्रेत योनि से मुक्ति के उपाय...
शास्त्रों में स्वच्छता के सूत्र

हमारे पूर्वज अत्यंत दूरदर्शी थे। उन्होंने हजारों वर्षों पूर्व वेदों व पुराणों में महामारी की रोकथाम के लिए परिपूर्ण स्वच्छता रखने के लिए स्पष्ट निर्देश दे कर रखें हैं-


1. लवणं व्यञ्जनं चैव घृतं तैलं तथैव च ।
लेह्यं पेयं च विविधं हस्तदत्तं न भक्षयेत् ।।
- धर्मसिन्धू ३पू. आह्निक

✍️नामक, घी, तेल, चावल, एवं अन्य खाद्य पदार्थ चम्मच से परोसना चाहिए हाथों से नही।

2. अनातुरः स्वानि खानि न स्पृशेदनिमित्ततः ।।
- मनुस्मृति ४/१४४

✍️अपने शरीर के अंगों जैसे आँख, नाक, कान आदि को बिना किसी कारण के छूना नही चाहिए।

3. अपमृज्यान्न च स्न्नातो गात्राण्यम्बरपाणिभिः ।।
- मार्कण्डेय पुराण ३४/५२

✍️एक बार पहने हुए वस्त्र धोने के बाद ही पहनना चाहिए। स्नान के बाद अपने शरीर को शीघ्र सुखाना चाहिए।

4. हस्तपादे मुखे चैव पञ्चाद्रे भोजनं चरेत् ।।
- पद्म०सृष्टि.५१/८८
नाप्रक्षालितपाणिपादो भुञ्जीत ।।
- सुश्रुतसंहिता चिकित्सा २४/९८

✍️अपने हाथ, मुहँ व पैर स्वच्छ करने के बाद ही भोजन करना चाहिए।
श्राप और वरदान का रहस्य क्या है ?

हम पौराणिक कथाओं में प्रायः यह पढ़ते-सुनते आये हैं कि अमुक ऋषि ने अमुक साधक को वरदान दिया या अमुक असुर को श्राप दिया।


जन साधारण को या आजके तथाकथित प्रगतिवादी दृष्टिकोण वाले लोगों को सहसा विश्वास नहीं होता कि इन पौराणिक प्रसंगों में कोई सच्चाई भी हो सकती है।

यदि विचारपूर्वक देखा जाय तो हम पाएंगे कि श्राप केवल मनुष्यों का ही नहीं होता,

जीव-जंतु यहाँ तक कि वृक्षों का भी श्राप देखने को मिलता है। वृक्षों पर आत्माओं के साथ-साथ यक्षदेवों का भी वास होता है।

स्वस्थ हरा-भरा वृक्ष काटना महान पाप कहा गया है। प्राचीन काल से तत्वदृष्टाओं ने वृक्ष काटना या निरपराध पशु-पक्षियों, जीव-जंतुओं को मारना पाप कहा गया है।

इसके पीछे शायद यही कारण है। उनकी ऊर्जा घनीभूत होकर व्यक्तियों का समूल नाश कर देती है।

चाहे नज़र दोष हो या श्राप या अन्य कोई दोष--इन सबमें ऊर्जा की ही महत्वपूर्ण भूमिका है।

किसी भी श्राप या आशीर्वाद में संकल्प शक्ति होती है और उसका प्रभाव नेत्र द्वारा, वचन द्वारा और मानसिक प्रक्षेपण द्वारा होता है।

रावण इतना ज्ञानी और शक्तिशाली होने के बावजूद उसे इतना श्राप मिला कि उसका सबकुछ नाश हो गया।
"पिपलन्त्री" राजसमंद , राजस्थान नाम का एक भारतीय गाँव है, जो हर बालिका के जन्म का जश्न मनाता है। 111 पेड़ लगाकर।‌‌

डेनमार्क के प्राइमरी स्कूलों में दिया जाता है राजस्थान के इस गाँव का उदाहरण!


राजसमंद जिले में बसे पिपलांत्री नाम के इस गाँव को ‘आदर्श ग्राम’, ‘निर्मल गाँव’, ‘पर्यटन ग्राम’, ‘जल ग्राम’, ‛वृक्ष ग्राम’, ‛कन्या ग्राम’, ‛राखी ग्राम’ जैसे विविध उपमाओं के साथ देशभर में पहचाना जाता है। इस गाँव पर सैकड़ों डॉक्यूमेंट्रीज बनी हैं।

राजस्थान के कक्षा सात व आठ की सरकारी पुस्तकों में पिपलांत्री को पाठ के रूप में पढ़ाया जा रहा है ।
वृक्षारोपण के बाद पिपलांत्री।
करीब दो हजार की आबादी वाले इस गाँव के बदलाव की कहानी 2005 के बाद से शुरू होती है

जब श्याम सुन्दर पालीवाल यहां के सरपंच बने। हालांकि पिपलांत्री पहले भी खूबसूरत हुआ करता था लेकिन मार्बल खनन क्षेत्र में बसे होने के चलते यहाँ की पहाड़ियां खोद दी गई, पानी पाताल में चला गया और प्रकृति के नाम पर कुछ भी नहीं बचा।

ऐसे में श्याम सुन्दर ने अपने गाँव की वन संपदाओं को नष्ट होते देख मुंह फेरकर निकल जाने की बजाय इन पहाड़ियों पर हरियाली की चादर ओढ़ाने की कसम खाई। उनके इसी संकल्प के चलते आज 15 साल बाद पिपलांत्री देश के उन चुनिंदा गाँवों की सूची में सबसे अव्वल नंबर पर आता है, जहाँ कुछ नया हुआ है।
Pravritti and Nivritti #Thread

Pravritti is worldly interaction i.e from inside to outside whereas Nivritti is inner contemplation i.e from outside to inside.

Let's understand both with examples


Pravritti:

It naturally flows out of us and is there from the time we are born till we die. And we are naturally inclined towards action.

A baby crawls, turns, twists , pulls, pushes, walks, runs without any formal training. Because it's the pravritti of the baby.


Outward interaction is essential for the continuity of life, for organising the Society, and concluding with Karma Yoga.

Right Karmas (action) can bring prosperity, happiness and contentment.

Nivritti

This needs training unlike Pravritti so that we can understand ourselves better, understand our nature, find how we react, how we feel and why do we feel so.

Meditation is that training.


Nivritti leads to the answers of the questions:

Who am I? What am I here for?

It stabilizes our physical body and purifies our thoughts. It also helps us to answer the question: Why should we do this?

Both Pravritti and Nivritti are interconnected.
कुंडी में चटनी रगड़ना क्यों जरूरी है?
भोजन में जो आयरन होता है उसको शरीर में absorb करने के लिये विटामिन c की आवयश्कता पड़ती है । जिस लिये सनातन आयुर्वेदिक वैज्ञानिकों ने चटनी का अविष्कार किया ।


सनातन आयुर्वेदिक उपकरणों जैसे कुंडी सोटे में रगड़ी गई चटनी को भोजन के साथ खाने से आपको निम्नलिखित लाभ होते हैं ।

1. आपको और आपके बच्चों iron के साथ साथ विटामिन c भी मिलता है जिससे आप स्वस्थ रहते हैं ।आपको केमिकल्स से तैयार ऊल्लू पैथी की गोलियां नहीं खानी पड़ती ।

2. आपको gym के गन्दी हवा में पसीना बहाने की जरूरत नहीं पड़ती । कुंडी में चटनी रगड़ने से आप की कसरत भी होती रहती है और आपके भोजन का स्वाद भी बढ़ जाता है ।

3. चटनी में आप आवश्कता के अनुसार आयुर्वेदिक औषधियों जैसे गिलोय ,कच्चे आम ,पुदीना, धनियां ,काली मिर्च ,अनारदाना , कच्चे प्याज ,मरुआ आदि डाल सकते हैं ।

4.जब आप mixer में चटनी बनाते हैं तो कई औषधियों में कई प्रकार के रस होते हैं जो केवल कूटने से निकलते हैं ।

उदहारण के लिये प्याज में विशेष प्रकार की झिल्ली होती है । जो प्याज पर प्रहार करने पर ही रस छोड़ती है काटने पर नहीं । इसलियें सनातन भारत में पहले मुक्के से प्याज तोड़ा जाता था । ऐसा नहीं है कि चाकू सनातन भारत मे उपलब्ध नहीं था ।