1/ Productivity tip: when I keep procrastinating on something I often trick myself by saying, "ok just work on it for the next 20 minutes" or some short period of time, "and then you can chill/relax guilt free" and give myself some treat (sugar, netflix, etc)

2/ Usually at the 20 minute mark (sometimes I set a timer) I'm so engrossed in what I'm doing that I don't want want to stop and end up working on it for the next hour or two. But getting started seems to be the hardest part.
3/ Key to this: you have to actually be ok with stopping after 20 minutes and being guilt free if that's how you feel. So it's not a trick, i have the option every time, I just often don't want to use it once i'm in the zone.

More from Productivity

You May Also Like

प्राचीन काल में गाधि नामक एक राजा थे।उनकी सत्यवती नाम की एक पुत्री थी।राजा गाधि ने अपनी पुत्री का विवाह महर्षि भृगु के पुत्र से करवा दिया।महर्षि भृगु इस विवाह से बहुत प्रसन्न हुए और उन्होने अपनी पुत्रवधु को आशीर्वाद देकर उसे कोई भी वर मांगने को कहा।


सत्यवती ने महर्षि भृगु से अपने तथा अपनी माता के लिए पुत्र का वरदान मांगा।ये जानकर महर्षि भृगु ने यज्ञ किया और तत्पश्चात सत्यवती और उसकी माता को अलग-अलग प्रकार के दो चरू (यज्ञ के लिए पकाया हुआ अन्न) दिए और कहा कि ऋतु स्नान के बाद तुम्हारी माता पुत्र की इच्छा लेकर पीपल का आलिंगन...

...करें और तुम भी पुत्र की इच्छा लेकर गूलर वृक्ष का आलिंगन करना। आलिंगन करने के बाद चरू का सेवन करना, इससे तुम दोनो को पुत्र प्राप्ति होगी।परंतु मां बेटी के चरू आपस में बदल जाते हैं और ये महर्षि भृगु अपनी दिव्य दृष्टि से देख लेते हैं।

भृगु ऋषि सत्यवती से कहते हैं,"पुत्री तुम्हारा और तुम्हारी माता ने एक दुसरे के चरू खा लिए हैं।इस कारण तुम्हारा पुत्र ब्राह्मण होते हुए भी क्षत्रिय सा आचरण करेगा और तुम्हारी माता का पुत्र क्षत्रिय होकर भी ब्राह्मण सा आचरण करेगा।"
इस पर सत्यवती ने भृगु ऋषि से बड़ी विनती की।


सत्यवती ने कहा,"मुझे आशीर्वाद दें कि मेरा पुत्र ब्राह्मण सा ही आचरण करे।"तब महर्षि ने उसे ये आशीर्वाद दे दिया कि उसका पुत्र ब्राह्मण सा ही आचरण करेगा किन्तु उसका पौत्र क्षत्रियों सा व्यवहार करेगा। सत्यवती का एक पुत्र हुआ जिसका नाम जम्दाग्नि था जो सप्त ऋषियों में से एक हैं।
“We don’t negotiate salaries” is a negotiation tactic.

Always. No, your company is not an exception.

A tactic I don’t appreciate at all because of how unfairly it penalizes low-leverage, junior employees, and those loyal enough not to question it, but that’s negotiation for you after all. Weaponized information asymmetry.

Listen to Aditya


And by the way, you should never be worried that an offer would be withdrawn if you politely negotiate.

I have seen this happen *extremely* rarely, mostly to women, and anyway is a giant red flag. It suggests you probably didn’t want to work there.

You wish there was no negotiating so it would all be more fair? I feel you, but it’s not happening.

Instead, negotiate hard, use your privilege, and then go and share numbers with your underrepresented and underpaid colleagues. […]