हमें समझना होगा कि ज्योतिष गणनाओं पर आधारित एक विशुद्ध विज्ञान है। कुंडली की सटीकता/समय इत्यादि सही होने चाहिए तो व्यक्ति की शारीरिक संरचना से लेकर आंतरिक रोगों भी की कही जाती है।
दुःख ये है कि आजकल इस विद्या में जरूरत से ज्यादा प्रोफेशनल बनकर कुछ लोग इस विद्या को बदनाम करते हैं
बारह भावों, नव ग्रहों, नक्षत्रों, ग्रहों के अंश, भाव स्वामी, विभिन्न भावों उनकी उपस्थिति, दृष्टि संबंध, षोडशवर्ग, महादशा व अन्य दशाएँ इत्यादि और भी बहुत से तथ्यों पर गणना होती है। ज्योतिष के 12 भावों में अंगों की गणना कालपुरुष कुंडली कही जाती है।
आज कुंडली के भावों में कैसे शरीर के विभिन्न अंगों पर ज्योतिषीय आधार से हम रोग के विषय मे बताते हैं ये दिखाना चाहूंगी। ताकि ज्योतिष को अंधविस्वास न मान आप उसके वैज्ञानिक पहलुओं को समझ सकें।
आप लोगों की जिज्ञासा हुई तो आने वाले समय इससे आगे भी लिखने का प्रयास करूँगी।
लिखने को तो बहुत कुछ होता है पर यहां संक्षेप में लिखूँगी।
सूर्य- हड्डियाँ, हृदय, पित्त
चंद्रमा- मस्तिष्क, निद्रारोग, कफ विकार, जलतत्व
मंगल- लाल रक्त कणिकाएं(हीमोग्लोबिन), रक्त सम्बन्धी रोग, चोट, सर्जरी
बुध- त्वचा, त्वचा रोग, ENT वर्टिगो, स्पीच डिसऑर्डर, फेफड़े, नपुसंकता
गुरु- लिवर- गॉल ब्लैडर के रोग, मोटापा, डायबिटीज, पेनक्रियाज/स्प्लीन, हार्मोन संबंधी समस्या
शुक्र- सेक्सुअली ट्रांसमिटेड बीमारी, आंखों के रोग, डायबिटीज, टाइफाइड, appendicitis
शनि- जटिल रोग, डिप्रेसन, अंगभंग होना, बाल, टाँगे, इंक्यूरबले बीमारियां, नसों से संबंधित रोग
राहु- क्रोनिक/इंक्यूरबले बीमारी, पागलपन, हिचकियां, फोबिया, कोढ़, जहर/जहरीले कीड़ों से दुख, आटिज्म/ADHD/ASD, टिश्यू की अनियमति बढ़त(ट्यूमर व कैंसर), weeping wounds.
केतु- वायरल बीमारी, बीमारी के डियग्नोस करने में कंफ्यूजन, eruptive फीवर, महामारी
आज इन दो विषय पर जैसे चर्चा की है ऐसे ही और भी कुंडली आंकलन के माध्यम हैं जिनसे हम रोग संबंधित ज्योतिषीय गणना करते हैं।
गर्व करें हम विशुद्ध वैज्ञानिक सनातन धर्म को मानने वाले हैं। जहाँ जांचों/दवा के बिना ही बीमारियों को सिर्फ सही जीवनशैली से त्रिदोषों को संतुलन मुख्य है।🇮🇳🚩
महादेव हम सब का कल्याण करें।
नमः शिवाय🙏🚩