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वैसे जो आजकल हिन्दुओं की सोच है, औरतों के प्रति, वो विधर्मियों से कम नहीं हैं। उन्हें तत्त्वज्ञान का बोध ही नहीं है और इसीलिए वो भी उन्हें बाँधना चाहते हैं। ट्विटर पर ही सैकड़ों उदहारण है। वो रात को स्पेस करें तो कष्ट, अपनी DP बदलें तो कष्ट और उस पर फब्तियाँ कसेंगे, 1/4

वो शायरी लिखें तो भेड़िये की तरह टूटेंगे जैसे केवल उनके लिए ही लिखी हो। और स्वयं को हिन्दू और हिंदुत्व वाला बताएँगे। कैसे दोहरा चरित्र अपना लेते हैं। जो आजादी पुरुषों को है तो औरतों को क्यों नहीं, आप अलग हैं क्या उनसे। ९० फीसदी महिलाओं को, लड़कियों को लिखना पड़ता है NO DM क्यों?+
हमारी कन्यायें जो देवी स्वरुप हैं, क्या वो भी पर्दा में रहें क्यूंकि आप अपनी इन्द्रियों को बस में नहीं कर सकते, वो अपना लिख भी नहीं सकती, गजब ही है। गौरतलब है की हिंदुस्तान में इतने मंदिर हैं और सुबह शाम इतने संदेश भेजते हैं पर पाप करने से ना चूकते। 3/4
ऐसे दिखावे से हिन्दू नहीं बनते, हिन्दू घर मैं पैदा होने से या केवल हिन्दू लिख लेने से हिन्दू नहीं बन जाते। तनिक इतिहास से सीखो, थोड़ा ज्ञान लो, स्कूली पढ़ाई से ऊपर उठो। वर्ना सबसे पहले सलवार पहनने वाले तुम ही लोग होंगे। 4/4

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