विज्ञप्ति जारी (आवश्यक सूचना) :

-जोशीमठ, चमोली
(आश्विन कृष्ण चतुर्दशी तदनुसार दिनांक 5 अक्टूबर 2021)

ज्योतिर्मठ में आयोजित होगा शारदीय नवरात्रि महोत्सव :- आगामी 7 अक्टूबर से पूरे देश में शारदीय नवरात्रि में शक्ति उपासना का क्रम शुरू हो जाएगा।

चतुराम्नाय शांकर पीठ में अन्यतम ज्योतिर्मठ जिसे 'श्रीमठ' भी कहा जाता है।

इस शक्ति क्षेत्र में विविध क्रम से साधक अपनी - अपनी 'शक्ति' उपासना और आराधना सम्पन्न करते हैं।

उत्तर भारत की आध्यात्मिक राजधानी 'ज्योतिर्मठ' जो कि उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में स्थित है।
वहां पर स्थापित तोटकाचार्य गुफा ज्योतिष्पीठ परिसर में प्रतिवर्ष की भांति इस बार भी अखिलकोटिब्रहाण्ड नायिका राजराजेश्वरी त्रिपुरसुन्दरी माता जी की भव्य आराधना कार्यक्रम सम्पन्न होगा।

ज्योतिष्पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य पूज्यपाद स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती जी महाराज ने...
भगवती के श्रृंगार के लिए रजत मुकुट और ६४ योगिनी देवियों के लिए विशेष वस्त्र और श्रृंगार सामग्री प्रेषित की है।
शारदीय नवरात्रि के अवसर पर देवी जी के प्रांगण में सविधि कलशस्थापन कर प्रतिदिन माता जी की विशेष आराधना, महाश्रृंगार के साथ ही योगिनियों की पूजा का क्रम भी सम्पन्न होगा।
उपरोक्त सभी कार्यक्रम शंकराचार्य जी महाराज के प्रतिनिधि पूज्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती जी महाराज के कुशल मार्गदर्शन व ब्रह्मचारी श्रवणानन्द जी एवं ब्रह्मचारी मुकुन्दानन्द जी के सान्निध्य में सम्पन्न होगा।

मुख्य यजमान के रूप में भगवती ने इस सेवा का अवसर...
हैदराबाद निवासिनी श्रीमती श्रीदेवी जी को प्रदान किया है।

उक्त सूचना ज्योतिर्मठ के ब्रह्मचारी विष्णुप्रियानन्द जी ने दी है।
(सूचना स्त्रोत - व्हाट्सप्प मैसेज)
जय माता दी 🙌🏻 आप सभी को शारदीय नवरात्रिः की अग्रिम शुभकामनायें। 🙏🏻

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#ध्यान
ध्यान एक यौगिक प्रक्रिया है। ध्यानयोग की चरम उपलब्धि है - "समाधि"।
बिना समाधि को उपलब्ध हुए अन्तर्जगत् में प्रवेश नहीं किया जा सकता। अंतर्जगत का अर्थ है - सूक्ष्म जगत। जब तक सूक्ष्म जगत में प्रवेश कर, सूक्ष्म शरीर द्वारा साधना प्रारंभ नहीं की जाती,...


तब तक अध्यात्म का मार्ग प्रशस्त नहीं होता। स्थूल शरीर से हज़ारों वर्ष साधना करते रहने से कोई उपलब्धि प्राप्त नहीं होती। मात्र स्वयं को भ्रान्ति में डाले रहना है कि हम साधना कर रहे हैं। साधना करना और साधना करने का भ्रम पालना अलग अलग है। जो व्यक्ति यह कहता है कि वह साधना करते हुए..

उस उच्च अवस्था को प्राप्त हो चुका है, जिसे समाधि की अवस्था कहते हैं, तो बहुत कुछ सम्भव है कि वह साधना- साधना कह कर साधना की मादकता में डूब जाने को ही साधना समझता हो।
साधना और साधना समझने की मादकता में ज़मीन-आसमान का अन्तर है।

बहुत से साधक जो अटल नहीं है, केवल भजनानंदी ही हैं। वह भजन- कीर्तन, पूजा - उपासना को ही साधना समझते हैं और उसी में मस्त रहते हैं।
पूजा-उपासना, भजन-कीर्तन का अपना महत्त्व होता है किन्तु, वह साधना नहीं होती। साधना होती है शरीर को साधना, प्राणों को साधना,...

मन को साधना और अन्त में आत्मा को साधना। सूक्ष्म शरीर से साधना करने को ही सही अर्थ में आध्यात्मिक साधना करने का प्रारंभ कहते हैं।
सूक्ष्म शरीर से साधना करते समय साधक का सूक्ष्म जगत के विभिन्न आयामों में प्रवेश स्वतः हो जाता है।
आप सभी ने सोरहा, सौरठा और बधाई के बारे में सुना या पढ़ा होगा? बृज क्षेत्र में बच्चे के जन्मोत्सव के समय बधाईयाँ बजाते हैं, गाते हैं। ऐसी ही एक बधाई-सोरहा मैं आपको बताती हूँ, आप भी गा सकते हो -

श्रीराम जन्मोत्सव बधाई 🙏🏻
राजा जू के आँगने री बधाइया बाजै।
पुत्र जन्म उत्सव अति आनंद,


आढ़यो बहुती भागने री।
छठी दिवस कुल रीति कीन्ह सब,
रात दिवस लव लागने री।
विविध बाजने बजत मधुर मधु,
सोहिल सुखकर रागने री।
गायक गुनी बिदूषक निज निज,
करहिं कला कल पागने री।
नचहिं अपसरा नारि नगर की,
बीती रजनी जागने री।
भूमि अकाश अनन्द अथाही,
देव मुनी नर नागने री।


पुष्प-इन-घन वर्षत सबहीं,
हर्षण हर्षित मागने री।।

आप सभी श्री राम-जन्म के बधाई महोत्सव की अनन्त शुभकामनाएँ। 🙏🏻😊

#रामनवमी_की_हार्दिक_शुभकामनाएं
#जयश्रीराम #रामनवमी२०२२

जय श्री राम! 🙌🏻💐
🔺 #राधा_कुंड की महिमा और इसकी कथा : #अहोई_अष्टमी पर राधा कुंड में स्नान करने से होती है संतान की प्राप्ति -

•भगवान श्री कृष्ण की नगरी मथुरा में "गोवर्धन गिर (पर्वत)" की परिक्रमा के मार्ग में एक चमत्कारी कुंड है जिसे राधा कुंड के नाम से जाना जाता है।


•इस कुंड की ऐसी महिमा है कि, यदि नि:संतान दंपत्ति कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी की मध्य रात्रि को (वह दंपत्ति) एक साथ स्नान करते हैं तो उन्हें संतान की प्राप्ति हो जाती है।

अहोई अष्टमी का यह पर्व यहां पर प्राचीनकाल से मनाया जाता है।

इस दिन पति और पत्नी दोनों ही निर्जला व्रत रखते हैं, और मध्य रात्रि में राधाकुंड में डूबकी लगाते हैं। तो ऐसा करने पर उस दंपत्ति के घर में बालक की किलकारियां शीघ्र ही गूंजने लगती हैं।

•इतना ही नहीं, जिन दंपत्तियों की संतान की मनोकामना पूर्ण हो जाती है वह भी अहोई अष्टमी के दिन...


अपनी संतान के साथ यहां राधा रानी की शरण में उपस्थिति लगाने आते हैं। माना जाता है कि यह प्रथा द्वापर युग से चली आ रही है।

🔺 राधा कुंड की कथा :

•इस प्रथा से जुड़ी एक कथा का पुराणों में भी वर्णन मिलता है जो इस प्रकार है -
जिस समय कंस ने भगवान श्री कृष्ण का वध करने के लिए...


अरिष्टासुर नामक दैत्य को भेजा था उस समय अरिष्टासुर गाय के बछड़े का रूप लेकर श्री कृष्ण की गायों के बीच में शामिल हो गया, और उन्हें मारने के लिए आया।

भगवान श्री कृष्ण ने उस दैत्य को पहचान लिया। इसके बाद श्री कृष्ण ने उस दैत्य को पकड़कर जमीन पर फैंक दिया और उसका वध कर दिया।
#Series name : "Shiva - the voice of nature!" 1st part 👇🏻
Let's start with #Kashi, the city of Lord Shiva.

•Kashi is mentioned in the Rigveda, the oldest text of the world - 'काशिरित्ते.. आप इवकाशिनासंगृभीता!'
According to the Puranas, this is a proto-Vaishnavite place. https://t.co/xqTcrEjVzo


•Earlier it was the puri of Lord Vishnu (Madhava). Where Sri Harike's Anandashru had fallen, Bindusarovar was formed and the Lord was enshrined here in the name of Bindhumadhava.

There is such a story that when Lord Shankar cut off the fifth head of Lord Brahma in anger,...

...he got clinging to his deeds. Even after traveling in many pilgrimages for twelve years, that head did not separate from them. But as soon as he entered the border of Kashi, Brahmahatya left him and that skull also fell apart. The place where this incident took place...

...was called Kapalmochan-teerth.

Mahadev liked Kashi so much that he asked this holy puri from Vishnu for his regular residence. Since then Kashi became his abode.

According to Harivansh Purana, the Bharatvanshi king who settled Kashi was 'Kash'.

According to some scholars, Kashi is a city even before the Vedic period.

Being the oldest center of worship of Shiva, this belief seems to have originated; Because in general "Shivopasana" is considered to be of pre-vedic period.

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Following @BAUDEGS I have experienced hateful and propagandist tweets time after time. I have been shocked that an academic community would be so reckless with their publications. So I did some research.
The question is:
Is this an official account for Bahcesehir Uni (Bau)?


Bahcesehir Uni, BAU has an official website
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BAU’s official Twitter account


BAU has many departments, which all have separate accounts. Nowhere among them did I find @BAUDEGS
@BAUOrganization @ApplyBAU @adayBAU @BAUAlumniCenter @bahcesehirfbe @baufens @CyprusBau @bauiisbf @bauglobal @bahcesehirebe @BAUintBatumi @BAUiletisim @BAUSaglik @bauebf @TIPBAU

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