SOUND OF THE SUN!

NASA found that the sound from the sun resembles the Vedic mantra 'Om'. It is the most sacred mantra of Brahman, the highest Universal Principle, the Ultimate Reality. Om connotes the metaphysical concept of Brahman.

The sound is often chanted either independently or before a mantra; it signifies the Brahman as the ultimate reality, consciousness or Atman. The Om sound is the primordial sound and is called the Shabda-Brahman (Brahman as sound).
Om is one of the most important spiritual sound in Hinduism. Our Vedas and Shastras are the most scientific and the Rishis who composed them were super Scientists! Be proud of your ancestors!
THE MEANING OF THE OM SYMBOL 

‘Om’, ‘Ohm’ or ‘Aum’ is a sacred sound that is known generally as the sound of the universe. Om is all encompassing, the essence of ultimate reality, and unifies everything in the universe.
The vibrations that the Om sound creates are thought to energize the chakras throughout the body, especially the third eye and crown chakras, which help us connect with our Divine selves.
The Om sound is a short, 'seed' mantra, which is chanted to connect with and energize the chakras. The Om symbol represents the sound in a visual form and has a lot of meaning behind it.
@A_shwetanshi_
@DharmaSuta
@saffron_tweeter
@DetheEsha
Elements of the Om Symbol - The Om symbol is a combination of curves, a crescent and a dot. The meaning of the Om symbol, while purely looking at its visual form, comes from the states of consciousness that Aum represents.
The letter 'A' represents the waking state, 'U' represents the dream state and 'M' is the unconscious state, or state of deep sleep.
In the symbol, the waking state is represented by the bottom curve, the dream state is the middle curve and the state of deep sleep is represented with the upper curve.
The crescent shape above the curves denotes Maya,Illusion,which is the obstacle that sits in the way of reaching the highest state of bliss. The dot at the top of the symbol represents the absolute state, which is the fourth state of consciousness and is absolute peace and bliss.
This fourth state is believed to be the state in which someone could truly connect with the Divine.

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"स्वतंत्रता हमारा अधिकार है, तुम्हारी ये गोलियां हमारे संकल्प को डिगा नहीं सकतीं"
ये शब्द उस वीरांगना के अन्तिम शब्द थे जिसने अपने हाथ से भारत का उस समय का झंडा गिरने न दिया यद्यपि अंग्रेजी गोली उनका सीना भेद गयी।
जानिये 17 वर्षीय कनकलता बरूआ "वीरबाला" के बारे में
@Sanjay_Dixit


असम के बारंगबाड़ी में जन्मीं वीरांगना की पारिवारिक स्थिति ये थी कि मात्र 5 वर्ष की अवस्था में मां का देहान्त हो गया अगले ही वर्ष सौतेली मां का भी देहावसान हो गया लेकिन वीर चुनौतियों से डिगते नहीं अपितु चुनौतियों का हंसकर सामना करते हैं चूंकि नाम ही वीरबाला था यथा नाम तथा गुण।

सात वर्ष की अवस्था मेॆ कवि ज्योति प्रसाद अग्रवाल के गीतों ने राष्ट्रभक्ति की अलख जगा दी वीरबाला के हृदय में,
मात्र 17 वर्ष में नेताजी की आजाद हिन्द फौज में शामिल होने की याचिका दी इन्होंने परन्तु वो याचिका निरस्त हो गयी क्योंकि कहा गया कि आप अभी नाबालिग हैं लेकिन वो रूकी नहीं।

फिर वो स्वयंसेवकों के आत्मघाती दल मृत्यु वाहिनी में शामिल हो गयीं उस समय भारत छोड़ो आन्दोलन चल रहा था दिनांक 20 सितम्बर 1942 को इनकी योजना थी कि गोहपुर थाने पर भारतीय झंडा फहरायेंगी व दादा को ये वादा किया कि जैसे अहोम वंश देश के लिये लड़ा वैसे ही वो देश के लिये लड़ेंगी।

वीरबाला स्वयं उस दल का नेतृत्व कर रहीं थीं हाथों में तिरंगा लिये बढती जा रहीं थीं थानेदार ने इनको रोका, इन्होंने कहा कि हम आपसे कोई हिंसक संघर्ष नहीं चाहते हम केवल झंडा फहराना चाहते एवम् राष्ट्रभक्ति की अलख जगाना चाहते परन्तु थानेदार नहीं माना और गोली चलाने की चेतावनी दी
रानी लक्ष्मीबाई को तो सभी लोग जानते हैं किन्तु रानी वेलु नाचियार,रानी गाइदिन्ल्यु का नाम भारतीय पटल पर आना अद्भुत है।
चूंकि सभी लोग परिचित नहीं है अत: एक प्रयास मेरे द्वारा किया गया है,
कृपया पढिये भारत की गौरवपूर्ण वीरांगनाओं के बारे में।

https://t.co/rbyhfH0HuC


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रानी नइकी देवी


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रानी वेलु नाचियार एवम् मां कुयिली देवी


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नीरा आर्या


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रानी दुर्गावती
प्राचीन भारत की प्रमुख व्यूह रचनाएं
“महाभारत” एक ऐसा महाग्रंथ है जिसमे निहित ज्ञान आज भी प्रासंगिक है| इसमें बताये गए युद्ध के १८ दिनों में तरह तरह की रणनीतिया और व्यूह रचे गए थे | जैसे अर्धचंद्र, वज्र, और सबसे अधिक प्रसिद्ध चक्रव्यूह |

आखिर कैसे दिखते थे ये व्यूह? 👇


वज्र व्यूह

महाभारत युद्ध के प्रथम दिन अर्जुन ने अपनी सेना को इस व्यूह के आकार में सजाया था| इसका आकार देखने में इन्द्रदेव के वज्र जैसा होता था अतः इस प्रकार के व्यूह को "वज्र व्यूह" कहते हैं।
@RekhaSharma1511
@DeshBhaktReva


क्रौंच व्यूह

क्रौंच एक पक्षी होता है, जिसे आधुनिक अंग्रेजी भाषा में Demoiselle Crane कहते हैं| ये सारस की एक प्रजाति है| इस व्यूह का आकार इसी पक्षी की तरह होता है| युद्ध के दूसरे दिन युधिष्ठिर ने पांचाल पुत्र को इसी क्रौंच व्यूह से पांडव सेना सजाने का सुझाव दिया था| 1/3


राजा द्रुपद इस पक्षी के सिर की तरफ थे, तथा कुन्तीभोज इसकी आँखों के स्थान पर थे| आर्य सात्यकि की सेना इसकी गर्दन के स्थान पर थी| भीम तथा पांचाल पुत्र इसके पंखो (Wings) के स्थान पर थे| द्रोपदी के पांचो पुत्र तथा आर्य सात्यकि इसके पंखो की सुरक्षा में तैनात थे।
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इस तरह से हम देख सकते है की, ये व्यूह बहुत ताकतवर एवं असरदार था| पितामह भीष्म ने स्वयं इस व्यूह से अपनी कौरव सेना सजाई थी| भूरिश्रवा तथा शल्य इसके पंखो की सुरक्षा कर रहे थे| सोमदत्त, अश्वत्थामा, कृपाचार्य और कृतवर्मा इस पक्षी के विभिन्न अंगों का दायित्व संभाल रहे थे|

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क्या आप जानते हैं कि राम जी अपने 14 वर्षों के वनवास के दौरान कहां कहां रहे व उन स्थानों पर क्या क्या घटनायें हुयीं?
कुल पड़ाव इस प्रकार हैं
प्रयाग,चित्रकूट,सतना,रामटेक,पंचवटी,भंडारदारा,तुलजापुर,सुरेबान,कर्दीगुड,कोप्पल,हम्पी,तिरूचरापल्ली,कोडिक्करल,रामनाथपुरम,रामेश्वरम् (भारत)


तीन स्थान वास्गामुवा,दुनुविला एवम् वन्थेरूमुलई ये श्रीलंका में हैं।
नुवारा एलिया एक वो स्थान है जहां से होकर प्रभु श्री राम जी लंका के लिये गुजरे थे।
@JyotiKarma7
@DramaQueenAT
@AgniShikha100

पहला पड़ाव था सिंगरौर जो कि प्रयाग राज से 35 किमी का दूरी पर है यहीं पर केवट प्रसंग हुआ था यह नगर गंगा घाटी के तट पर स्थित है यहीं पर श्री राम जी ने मां सीता के साथ गंगा मां की वन्दना की थी।


यात्रा का दूसरा पड़ाव था कुरई जहां प्रभु सिंगरौर से गंगा पार करने के पश्चात् उतरे थे यहां
प्रभु ने लक्ष्मण जी एवम् मां सीता के साथ विश्राम किया था।


तीसरा स्थान है प्रयाग जिसको किसी कालखंड में इलाहाबाद कहा जाता था तीर्थों के राजा प्रयागराज को ही माना जाता है क्योॆकि यहां वैतरिणी मां गंगा एवम् गंगा नदी की मुख्य सहायक नदी यमुना जी का मां सरस्वती के साथ संगम होता है।

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