सुविचार:
धर्मो रक्षति रक्षितः। 🚩
(Read fullThread) आज बात गुजरात के द्वारकाधीश मंदिर की जिसकी धर्म ध्वजा चढाने-उताने का अधिकार अबोटी ब्राह्मणों को प्राप्त है-

१. हिंदू धर्म के चार धामों में यह एक धाम माना जाता है। यहां पर भगवान द्वारकाधीश की पूजा की जाती है। जिसका अर्थ है द्वारका का राजा। द्वापर युग में यहां स्‍थान भगवान कृष्‍ण की राजधानी थी।
२. इस मंदिर में ध्वजा पूजन का विशेष महत्व है मंदिर के शिखर पर ध्वज हमेशा पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर लहराता रहता है।
३. मंदिर पर लगे ध्वज को कई किलोमीटर दूर से भी देखा जा सकता है। यह ध्वज 52 गज का होता है। 52 गज के ध्वज को लेकर यह यह कथा है कि द्वारका पर 56 प्रकार के यादवों ने शासन किया।
४. सभी के अपने भवन थे। इनमें चार भगवान श्रीकृष्ण, बलराम, अनिरुद्धजी और प्रद्युमनजी देवरूप होने से इनके मंदिर बने हुए हैं और इनके मंदिर के शिखर पर अपने ध्वज लहराते हैं।
५. बाकी 52 प्रकार के यादवों के प्रतीक के रूप में यह 52 गज का ध्वज द्वारकाधीशजी के मंदिर पर लहराता है। मंदिर में प्रवेश के लिए गोमती माता मंदिर के सामने से 56 सीढियां भी इसी का प्रतीक हैं।
६. मंदिर के ऊपर लगी ध्‍वजा पर सूर्य और चंद्रमा का प्रतक चिह्न बना होता है। यह चिह्न इस बात का सूचक माना जाता है कि पृथ्‍वी पर सूर्य और चंद्रमा के मौजूद होने तक द्वारकाधीश का नाम रहेगा।
७. मेघश्यामं पीतकौशेयवासं श्रीवत्साङ्कं कौस्तुभोद्भासिताङ्गम् । पुण्योपेतं पुण्डरीकायताक्षं विष्णुं वन्दे सर्वलोकैकनाथम् ॥
८. भगवान श्रीद्वारकाधीशजी के अंग मेघ समान श्यामरंगी होने से, मेघधनुष समान प्रकाशमान, श्रीजी की ध्वजा का वर्ण मेघधनुष के समान सतरंगी जिनमें लाल, हरा, पीला, नीला, सफेद, भगवा और गुलाबी शामिल है। यह सभी रंग शुभ सूचक और विशिष्ट गुण बताते हैं।
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