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हिन्दू धर्म के 10 महत्वपूर्ण रहस्य:-

हिन्दू धर्म एक रहस्यमयी धर्म है। यह एकेश्‍वरवादी होने के साथ-साथ इस धर्म में देवी-देवता, भगवान, गुरु, पितृ, प्रकृति आदि को भी पूर्ण सम्मान दिया गया है। पाप और पुण्य की विस्तार से चर्चा की गई है।

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न्याय और अन्याय की भी परिभाषा बताई गई है। कर्मफल को भाग्यफल से महत्वपूर्ण माना गया है। पुनर्जन्म में इस धर्म की गहरी आस्था है। यम और नियम के सिद्धांत इस धर्म के मुख्‍य सिद्धांत हैं। प्रार्थना, व्रत, तीर्थ, दान और... प्रत्येक हिन्दू का कर्तव्य है।

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ज्ञात रूप से इस धर्म के 12 हजार वर्ष प्राचीन इतिहास एक रहस्य ही है।

पहला रहस्य...
कल्प वृक्ष : वेद और पुराणों में कल्पवृक्ष का उल्लेख मिलता है। कल्पवृक्ष स्वर्ग का एक विशेष वृक्ष है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार यह माना जाता है कि...

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इस वृक्ष के नीचे बैठकर व्यक्ति जो भी इच्छा करता है, वह पूर्ण हो जाती है, क्योंकि इस वृक्ष में अपार सकारात्मक ऊर्जा होती है। यह वृक्ष समुद्र मंथन से निकला था।

दूसरा रहस्य...
कामधेनु गाय : कामधेनु गाय की उत्पत्ति भी समुद्र मंथन से हुई थी।

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यह एक चमत्कारी गाय होती थी जिसके दर्शन मात्र से ही सभी तरह के दु:ख-दर्द दूर हो जाते थे। दैवीय शक्तियों से संपन्न यह गाय जिसके भी पास होती थी उससे चमत्कारिक लाभ मिलता था। इस गाय का दूध अमृत के समान माना जाता था।

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श्रीराम के पूर्व परशुराम जी के समकालीन ऋषि वशिष्ठ के पास कामधेनु गाय होती थी। इस गाय की रक्षा के लिए वशिष्ठ को कई राजाओं से लड़ना पड़ा था। कामधेनु की अलौकिक क्षमता को देखकर विश्वामित्र के मन में भी लोभ उत्पन्न हो गया था।

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उन्होंने इस गौ को वशिष्ठ से लेने की इच्छा प्रकट की, लेकिन वशिष्ठ ने इंकार कर दिया। दोनों में इसके लिए घोर युद्ध हुआ और विश्‍वामित्र को हार माननी पड़ी।

तीसरा रहस्य...
उड़ने वाले सांप : सभी जीव-जंतुओं में गाय के बाद सांप ही एक ऐसा जीव है जिसका हिन्दू धर्म में ऊंचा स्थान है।

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सांप एक रहस्यमय प्राणी है। देशभर के गांवों में आज भी लोगों के शरीर में नागदेवता की सवारी आती है। शिव के प्रमुख गणों में सांप भी है। भारत में नाग जातियों का लंबा इतिहास रहा है।

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नागवंश का संक्षिप्त परिचय...

कहते हैं कि 100 वर्ष से ज्यादा उम्र होने के बाद सर्प में उड़ने की शक्ति आ जाती है। सर्प कई प्रकार के होते हैं- मणिधारी, इच्‍छाधारी, उड़ने वाले, कएफनी से लेकर दशफनी तक के सांप जिसे शेषनाग कहते हैं। नीलमणिधारी सांप को सबसे उत्तम माना जाता है।

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हालांकि वैज्ञानिक अब अपने शोध के आधार पर कहने लगे हैं कि सांप विश्व का सबसे रहस्यमय प्राणी है और दक्षिण एशिया के वर्षा वनों में उड़ने वाले सांप पाए जाते हैं। उड़ने में सक्षम इन सांपों को क्रोसोपेलिया जाति से संबंधित माना है।

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चौथा रहस्य...
मणि : मणि एक प्रकार का चमकता हुआ पत्थर होता है। मणि को हीरे की श्रेणी में रखा जा सकता है। मणि होती थी यह भी अपने आप में एक रहस्य है। जिसके भी पास मणि होती थी वह कुछ भी कर सकता था। ज्ञात हो कि अश्वत्थामा के पास मणि थी जिसके बल पर वह शक्तिशाली और अमर हो गया था।

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रावण ने कुबेर से चंद्रकांत नाम की मणि छीन ली थी।

मान्यता है कि मणियां कई प्रकार की होती थीं। नीलमणि, चंद्रकांत मणि, शेष मणि, कौस्तुभ मणि, पारस मणि, लाल मणि आदि। पारस मणि से लोहे की किसी भी चीज को छुआ देने से वह सोने की बन जाती थी।

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कहते हैं कि कौवों को इसकी पहचान होती है और यह हिमालय के पास पास ही पाई जाती है। मणियों के महत्व के कारण ही तो भारत के एक राज्य का नाम मणिपुर है। शरीर में स्थित 7चक्रों में से एक मणिपुर चक्र भी होता है। मणि से संबंधित कई कहानी और कथाएं समाज में प्रचलित हैं।

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पांचवां रहस्य...
शंख : क्या शंख हमारे सभी प्रकार के कष्ट दूर कर सकता है? भूत-प्रेत और राक्षस भगा सकता है? क्या शंख में ऐसी शक्ति है कि वह हमें धनवान बना सकता है? क्या शंख हमें शक्तिशाली व्यक्ति बना सकता है? पुराण कहते हैं कि सिर्फ एकमात्र शंख से यह संभव है।

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शंख को हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है। शंख कई प्रकार के होते हैं। इनके 3 प्रमुख प्रकार है- दक्षिणावृत्ति शंख, मध्यावृत्ति शंख तथा वामावृत्ति शंख। इन शंखों के कई उप प्रकार होते हैं। शंखों की शक्ति का वर्णन महाभारत और पुराणों में मिलता है।

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लक्ष्मी शंख, गोमुखी शंख, कामधेनु शंख, विष्णु शंख, देव शंख, चक्र शंख, पौंड्र शंख, सुघोष शंख, गरूड़ शंख, मणिपुष्पक शंख, राक्षस शंख, शनि शंख, राहु शंख, केतु शंख, शेषनाग शंख, कच्छप शंख आदि प्रकार के होते हैं।

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महाभारत में कृष्ण के पास पाञ्चजन्य, अर्जुन के पास देवदत्त, युधिष्ठिर के पास अनंतविजय, भीष्म के पास पोंड्रिक, नकुल के पास सुघोष, सहदेव के पास मणिपुष्पक था। सभी के शंखों का महत्व और शक्ति अलग-अलग थी। शंख के चमत्का‍रों और रहस्य के बारे में पुराणों में विस्तार से लिखा गया है।

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छठा रहस्य...
पुनर्जन्म : पुनर्जन्म का सिद्धांत सिर्फ हिन्दू धर्म में ही है। यहूदी और इस धर्म से निकलने वाले धर्म (ईसाई, इस्लाम) इस सिद्धांत को नहीं मानते, लेकिन अब विज्ञान इस पर सहमत होने लगा है। हिन्दू धर्म के अनुसार आत्मा अजर-अमर है।

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स्थूल शरीर की उम्र 120 वर्ष है और इस शरीर के आसपास स्थित सूक्ष्म शरीर कभी नहीं मरता।यह परिवर्तित होता रहता है। सूक्ष्म शरीर के बीचोबीच स्थित कारण शरीर होता है जिसमें आत्मा का वास होता है।ये दोनों ही शरीर अपना रंग, रूप और आकार-प्रकार बदलते रहते हैं। इनकी क्षमता घटती-बढ़ती रहती है।
हिन्दू धर्म के अनुसार आत्मा एक शरीर छोड़कर दूसरा शरीर धारण करती रहती है और यह चक्र तब तक चलता रहता है, जब तक कि मोक्ष नहीं मिल जाता। 'मोक्ष' का अर्थ है खुद के मूल स्वरूप को पहचानना। यह जानना कि मैं शरीर नहीं हूं।

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मुण्डकोपनिषद् के अनुसार सूक्ष्म-शरीरधारी आत्माओं का एक संघ है। इनका केंद्र हिमालय की वादियों में उत्तराखंड में स्थित है। इसे देवात्मा हिमालय कहा जाता है। इन दुर्गम क्षेत्रों में स्थूल-शरीरधारी व्यक्ति सामान्यतया नहीं पहुंच पाते हैं।

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सातवां रहस्य...
जड़ी-बूटी रहस्य : एक ऐसी जड़ी है जिसको खाने से उसका असर रहता है, तब तक व्यक्ति गायब रहता है। एक ऐसी बूटी है जिसका सेवन करने से व्यक्ति को भूत-भविष्‍य का ज्ञान हो जाता है। क्या सचमुच ऐसा है? क्या संजीवनी बूटी होती है?

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आजकल वैज्ञानिक पारे, गंधक और आयुर्वेद में उल्लेखित कई प्रकार की जड़ी-बूटियों पर शोध कर रहे हैं और इसके चमत्कारिक परिणाम भी निकले हैं। आयुर्वेद और अथर्ववेद में उल्लेख है कि इस तरह की जड़ी-बूटियां होती हैं जिसके प्रयोग से स्वर्ण बनाया जा सकता है।

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सोने के निर्माण में तेलिया कंद-जड़ी बूटी का बहुत बड़ा योगदान माना जाता है। ऐसी भी औषधियां होती हैं, जो व्यक्ति को फिर से जवान बना देती हैं। औषधियों के बल पर व्यक्ति 500 वर्षों तक निरोगी रहकर जिंदा रह सकता है।

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माना जाता है कि जड़ी-बूटियों के बल पर जहां सभी तरह के दुख-दर्द दूर किए जा सकते हैं, वहीं धनवान भी बना जा सकता है। जड़ी-बूटियों से 'सम्मोहन टीका' भी बनाया जाता है। जड़ी-बूटियों के माध्यम से धन, यश, कीर्ति, सम्मान आदि सभी कुछ पाया जा सकता है।

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आठवां रहस्य...
ज्योतिष और वास्तु : क्या ज्योतिष ‍का ज्ञान सही है? नकली ज्योतिषियों के कारण ज्योतिष की प्रतिष्ठा ‍गिर गई है, लेकिन ज्योतिष को वेदों का नेत्र कहा गया है। यह एक ऐसी विद्या है जिसके माध्यम से प्राचीनकालीन ऋषि भूत, वर्तमान और भविष्य को जान लेते थे।

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साथ ही वे ब्रह्मांड की हर हरकत पर नजर रखते थे। ज्योतिष को अद्वैत का विज्ञान कहा गया है। पुराणों और अन्य ग्रंथों में ज्योतिष और वास्तु के कई चमत्कारों का उल्लेख मिलता है। आज का आधुनिक मन इस ज्ञान को मानने के लिए तैयार नहीं है..

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लेकिन वैज्ञानिक अब भारतीय वास्तुशास्त्र और ज्योतिष की प्रशंसा करने लगे हैं। हालांकि अभी इस ज्ञान पर और शोध किए जाने की जरूरत है।

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नौवां रहस्य...
संस्कृत : 'संस्कृत' का शाब्दिक अर्थ है परिपूर्ण भाषा। सभी भाषाओं की जननी है संस्कृत। वैदिक काल में संभ्रांत लोग संस्कृत बोलते थे। संस्कृत को देवों भी भाषा माना जाता है जिसे देवनागरी लिपि में लिखा जाता है।

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संस्कृत क्यों देव भाषा, जानिए...

संस्कृत भाषा के व्याकरण में विश्वभर के भाषा विशेषज्ञों का ध्यानाकर्षण किया है। उसके व्याकरण को देखकर ही अन्य भाषाओं के व्याकरण विकसित हुए हैं। आधुनिक वैज्ञानिकों के अनुसार यह भाषा कम्प्यूटर के उपयोग के लिए सर्वोत्तम भाषा है।

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मात्र 3,000 वर्ष पूर्व तक भारत में संस्कृत बोली जाती थी तभी तो ईसा से 500 वर्ष पूर्व पाणिणी ने दुनिया का पहला व्याकरण ग्रंथ लिखा था, जो संस्कृत का था। इसका नाम 'अष्टाध्यायी' है। यदि संस्कृत व्यापक पैमाने पर नहीं बोली जाती तो व्याकरण लिखने की आवश्यकता ही नहीं होती।

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संस्कृत ऐसी भाषा नहीं है जिसकी रचना की गई हो। इस भाषा की खोज की गई है। संस्कृत विद्वानों के अनुसार सौर परिवार के प्रमुख सूर्य के एक ओर से 9 रश्मियां निकलती हैं और ये चारों ओर से अलग-अलग निकलती हैं। इस तरह कुल 36 रश्मियां हो गईं।

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इन 36 रश्मियों के ध्वनियों पर संस्कृत के 36 स्वर बने। इस तरह सूर्य की जब 9 रश्मियां पृथ्वी पर आती हैं तो उनकी पृथ्वी के 8 वसुओं से टक्कर होती है। सूर्य की 9 रश्मियां और पृथ्वी के 8 वसुओं के आपस...

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में टकराने से जो 72 प्रकार की ध्वनियां उत्पन्न हुईं, वे संस्कृत के 72 व्यंजन बन गईं। इस प्रकार ब्रह्मांड में निकलने वाली कुल 108 ध्वनियां पर संस्कृत की वर्णमाला आधारित है।

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दसवां रहस्य...
ध्यान : हिन्दू धर्म का दसवां रहस्य है ध्यान। ध्यान योग का सातवां अंग है। वैदिक ऋषियों की यह खोज आज वैज्ञानिकों के अनुसार सबसे महत्वपूर्ण खोज मानी जाती है। ध्यान पर कई शोध हुए और यह पता चला कि ध्यान हर तरह के रोग को...

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दूर कर मस्तिष्क को शांत करने की क्षमता ही नहीं रखता, यह हमारी शारीरिक और मानसिक क्षमता भी बढ़ाता है। स्पेन, फ्रांस और अमेरिकी वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस शोध में सामने आया है कि ध्यान की मदद से इंसान के शरीर में उन जीन्स को दबाया जा सकता है, जो उत्तेजना पैदा करते हैं।

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ये जीन्स हैं RIPK2 और COX2। इनके अलावा हिस्टोन डीएक्टिलेज जीन्स भी हैं जिनकी सक्रियता पर ध्यान करने से असर पड़ता है। इस शोध में पता चलता है कि लोग ध्यान की मदद से अपने शरीर में जेनेटिक गतिविधियों को नियंत्रित कर सकते हैं..

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जिसमें गुस्से को काबू करना, सोच, आदतें या सेहत को सुधारना भी शामिल है। इस शोध का मॉलिक्यूलर बायोलॉजी के क्षेत्र 'एपिजेनेटिक्स' से भी सीधा संबंध है जिसके अनुसार आसपास के माहौल का जीन के मॉलिक्यूलर स्तर पर स्थायी प्रभाव पड़ सकता है।

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"साइकोन्यूरोएंडोक्राइनोलॉजी" पत्रिका ने इस विषय पर एक विस्तृत लेख प्रकाशित किया था। इससे कैंसर और एड्स जैसी बीमारियां भी दूर ‍की जा सकती हैं।

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दरअसल, ध्यान करते रहने से सूक्ष्म शरीर मजबूत होता है। सूक्ष्म शरीर के ताकतवर होने से व्यक्ति को अपने स्थूल शरीर के प्रति आसक्ति खत्म हो जाती है।

#सनातन_धर्म_सर्वश्रेष्ठ_है
#जयश्रीराम
#हर_हर_महादेव
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कौन से ऋषि का क्या है महत्व:

अंगिरा ऋषि :-

ऋग्वेद के प्रसिद्ध ऋषि अंगिरा ब्रह्मा के पुत्र थे। उनके पुत्र बृहस्पति देवताओं के गुरु थे। ऋग्वेद के अनुसार, ऋषि अंगिरा ने सर्वप्रथम अग्नि उत्पन्न की थी।

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विश्वामित्र ऋषि :-

गायत्री मंत्र का ज्ञान देने वाले विश्वामित्र वेदमंत्रों के सर्वप्रथम द्रष्टा माने जाते हैं। आयुर्वेदाचार्य सुश्रुत इनके पुत्र थे। विश्वामित्र की परंपरा पर चलने वाले ऋषियों ने उनके नाम को धारण किया। यह परंपरा अन्य ऋषियों के साथ भी चलती रही।

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वशिष्ठ ऋषि :-

ऋग्वेद के मंत्रद्रष्टा और गायत्री मंत्र के महान साधक वशिष्ठ सप्तऋषियों में से एक थे। उनकी पत्नी अरुंधती वैदिक कर्मो में उनकी सहभागी थीं।

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कश्यप ऋषि :-

मारीच ऋषि के पुत्र और आर्य नरेश दक्ष की १३ कन्याओं के पुत्र थे। स्कंद पुराण के केदारखंड के अनुसार, इनसे देव, असुर और नागों की उत्पत्ति हुई।

जमदग्नि ऋषि :-

भृगुपुत्र यमदग्नि ने गोवंश की रक्षा पर ऋग्वेद के १६ मंत्रों की रचना की है।

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केदारखंड के अनुसार, वे आयुर्वेद और चिकित्साशास्त्र के भी विद्वान थे।

अत्रि ऋषि :-

सप्तर्षियों में एक ऋषि अत्रि ऋग्वेद के पांचवें मंडल के अधिकांश सूत्रों के ऋषि थे। वे चंद्रवंश के प्रवर्तक थे। महर्षि अत्रि आयुर्वेद के आचार्य भी थे।

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आजकल लोगों की एक सोच बन गई है कि राजपूतों ने लड़ाई तो की, लेकिन वे एक हारे हुए योद्धा थे, जो कभी अलाउद्दीन से हारे, कभी बाबर से हारे, कभी अकबर से, कभी औरंगज़ेब से। क्या वास्तव में ऐसा ही है ? यहां तक कि राजपूत समाज में भी ऐसे कईं राजपूत हैं...

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जो महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान आदि योद्धाओं को महान तो कहते हैं, लेकिन उनके मन में ये हारे हुए योद्धा ही हैं।

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महाराणा प्रताप के बारे में ऐसी पंक्तियाँ गर्व के साथ सुनाई जाती हैं :- “जीत हार की बात न करिए, संघर्षों पर ध्यान करो”, “कुछ लोग जीतकर भी हार जाते हैं, कुछ हारकर भी जीत जाते हैं”।असल बात ये है कि हमें वही इतिहास पढ़ाया जाता है, जिनमें हम हारे हैं।

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मेवाड़ के राणा सांगा ने अनेक युद्ध लड़े, जिनमें मात्र एक युद्ध में पराजित हुए और आज उसी एक युद्ध के बारे में दुनिया जानती है, उसी युद्ध से राणा सांगा का इतिहास शुरु किया जाता है और उसी पर ख़त्म।

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राणा सांगा द्वारा लड़े गए खंडार, अहमदनगर, बाड़ी, गागरोन, बयाना, ईडर, खातौली जैसे युद्धों की बात आती है तो शायद हम बता नहीं पाएंगे और अगर बता भी पाए तो उतना नहीं जितना खानवा के बारे में बता सकते हैं।

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आइऐ आज इंदिरा गांधी की हिंदू विरोधी नीतीयों के बारे में जानते है, जिसे सबको जानने का अधिकार है

इंदिरा गांधी के बनाये नियम :

इंदिरा गांधी ने आपातकाल के दौरान संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़ा था।
धर्मनिरपेक्षता यानी कि सरकार और कानून धार्मिक...

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आधार पर किसी के भी साथ भेदभाव भी नहीं कर सकते।सभी धर्मों को एक समान माना जाएगा। सभी धर्म के लोगों को एक जैसे ही अधिकार प्राप्त होंगे।तो आइए आज इस धर्मनिरपेक्षता की सच्चाई को जान लिया जाए-

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शादी शगुन: केवल मुस्लिम लड़कियों की शादी पर 51,000 रु

नई उड़ान: UPSC & PSC की परीक्षाओं के लिए हर मुस्लिम की एक लाख की मदद

सीखो और कमाओ: हर मुस्लिम प्रतिभागी को 25,000

नई मंजिल : हर मुस्लिम प्रतिभागी को 56,500

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नई रोशनी : मुस्लिम महिलाओं में नेतृत्व क्षमता के लिए 2,25,000

हमारी धरोहर योजना : मुस्लिम प्रतिभागी को 3,32,000 प्रति वर्ष

अल्पसंख्यक पिछड़ों को *बीस लाख* तक के रियायती ऋण

उस्ताद योजना : हर अल्पसंख्यक अध्येता को नौ लाख बारह हजार रू

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नया सवेरा : मुस्लिम प्रतिभागी को कोचिंग के लिए भोजन आवास के साथ 1,00,000

मौलाना आजाद फेलोशिप : मुस्लिम प्रतिभागी को 28,000 प्रतिमाह व मकान भत्ता

मैट्रिक पूर्व छात्रवृत्ति योजना कक्षा 6 से 10 तक : मुस्लिम प्रतिभागी को 12,000 रू प्रतिवर्ष

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@franciscodeasis https://t.co/OuQaBRFPu7
Unfortunately the "This work includes the identification of viral sequences in bat samples, and has resulted in the isolation of three bat SARS-related coronaviruses that are now used as reagents to test therapeutics and vaccines." were BEFORE the


chimeric infectious clone grants were there.https://t.co/DAArwFkz6v is in 2017, Rs4231.
https://t.co/UgXygDjYbW is in 2016, RsSHC014 and RsWIV16.
https://t.co/krO69CsJ94 is in 2013, RsWIV1. notice that this is before the beginning of the project

starting in 2016. Also remember that they told about only 3 isolates/live viruses. RsSHC014 is a live infectious clone that is just as alive as those other "Isolates".

P.D. somehow is able to use funds that he have yet recieved yet, and send results and sequences from late 2019 back in time into 2015,2013 and 2016!

https://t.co/4wC7k1Lh54 Ref 3: Why ALL your pangolin samples were PCR negative? to avoid deep sequencing and accidentally reveal Paguma Larvata and Oryctolagus Cuniculus?
#ஆதித்தியஹ்ருதயம் ஸ்தோத்திரம்
இது சூரிய குலத்தில் உதித்த இராமபிரானுக்கு தமிழ் முனிவர் அகத்தியர் உபதேசித்ததாக வால்மீகி இராமாயணத்தில் வருகிறது. ஆதித்ய ஹ்ருதயத்தைத் தினமும் ஓதினால் பெரும் பயன் பெறலாம் என மகான்களும் ஞானிகளும் காலம் காலமாகக் கூறி வருகின்றனர். ராம-ராவண யுத்தத்தை


தேவர்களுடன் சேர்ந்து பார்க்க வந்திருந்த அகத்தியர், அப்போது போரினால் களைத்து, கவலையுடன் காணப்பட்ட ராமபிரானை அணுகி, மனிதர்களிலேயே சிறந்தவனான ராமா போரில் எந்த மந்திரத்தைப் பாராயணம் செய்தால் எல்லா பகைவர்களையும் வெல்ல முடியுமோ அந்த ரகசிய மந்திரத்தை, வேதத்தில் சொல்லப்பட்டுள்ளதை உனக்கு

நான் உபதேசிக்கிறேன், கேள் என்று கூறி உபதேசித்தார். முதல் இரு சுலோகங்கள் சூழ்நிலையை விவரிக்கின்றன. மூன்றாவது சுலோகம் அகத்தியர் இராமபிரானை விளித்துக் கூறுவதாக அமைந்திருக்கிறது. நான்காவது சுலோகம் முதல் முப்பதாம் சுலோகம் வரை ஆதித்ய ஹ்ருதயம் என்னும் நூல். முப்பத்தி ஒன்றாம் சுலோகம்

இந்தத் துதியால் மகிழ்ந்த சூரியன் இராமனை வாழ்த்துவதைக் கூறுவதாக அமைந்திருக்கிறது.
ஐந்தாவது ஸ்லோகம்:
ஸர்வ மங்கள் மாங்கல்யம் ஸர்வ பாப ப்ரநாசனம்
சிந்தா சோக ப்ரசமனம் ஆயுர் வர்த்தனம் உத்தமம்
பொருள்: இந்த அதித்ய ஹ்ருதயம் என்ற துதி மங்களங்களில் சிறந்தது, பாவங்களையும் கவலைகளையும்


குழப்பங்களையும் நீக்குவது, வாழ்நாளை நீட்டிப்பது, மிகவும் சிறந்தது. இதயத்தில் வசிக்கும் பகவானுடைய அனுக்ரகத்தை அளிப்பதாகும்.
முழு ஸ்லோக லிங்க் பொருளுடன் இங்கே உள்ளது
https://t.co/Q3qm1TfPmk
சூரியன் உலக இயக்கத்திற்கு மிக முக்கியமானவர். சூரிய சக்தியால்தான் ஜீவராசிகள், பயிர்கள்

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