शास्त्रों के अनुसार मनुष्य को पांच ऋण चुकाने होते हैं

1.माता का ऋण 2.पिता का ऋण

3.गुरु का ऋण 4.धरती का ऋण

5.धर्म का ऋण

1.माता का ऋण चुकाने के लिये कन्या दान करना चाहिए।

2.पिता का ऋण चुकाने के लिए संतान उत्पति करनी चाहिए।
3.गुरु का ऋण चुकाने के लिए लोगों को शिक्षित करना चाहिए।

4.धरती का ऋण चुकाने के लिए कृषि करना चाहिए या पेड़ लगाना चाहिए।

5.धर्म का ऋण चुकाने के लिए धर्म का प्रचार प्रसार करना चाहिए।
सनातन शिक्षा, अध्यात्म व धर्म का प्रचार प्रसार करें। विश्व की आधिकांश समस्याएँ स्वतः समाप्त हो जाएगी।

धन्यवाद। 🙌🏻🚩

More from Sanatan

You May Also Like