१/११
श्रावणमासकी कृष्णपक्ष एकादशीका माहात्म्य -
युधिष्ठिर - श्रीकृष्ण संवाद

युधिष्ठिरने पूछा -गोविन्द ! वासुदेव! आपको नमस्कार है! श्रावणके कृष्णपक्षमें कौन-सी एकादशी होती है? उसका वर्णन कीजिये।

२/११
भगवान् श्रीकृष्ण बोले-
राजन् ! सुनो, मैं तुम्हें एक पापनाशक उपाख्यान सुनाता हूं, जिसे पूर्वकालमें ब्रह्माजीने नारदजीके पूछनेपर कहा था।
३/११
नारदजीने प्रश्न किया - भगवन्! कमलासन! मैं आपसे यह सुनना चाहता हूँ कि श्रावणके कृष्णपक्षमें जो एकादशी होती है, उसका क्या नाम है, उसके कौन-से देवता है तथा उससे कौन सा पुण्य होता है? प्रभो। यह सब बताइये।
४/११

ब्रह्माजीने कहा- नारद! सुनो- मैं सम्पूर्ण लोकोंके हितकी इच्छासे तुम्हारे प्रश्नका उत्तर दे रहा हूँ।श्रावणमासमें जो कृष्णपक्षकी एकादशी होती है, उसका नाम 'कामिका' है; उसके स्मरणमात्रसे वाजपेय यज्ञका फल मिलता है।
५/११
उस दिन श्रीधर, हरि, विष्णु, माधव और मधुसूदन आदि नामोंसे भगवान्‌का पूजन करना चाहिये। भगवान् श्रीकृष्णके पूजनसे जो फल मिलता है, वहगङ्गा, काशी, नैमिषारण्य तथा पुष्करक्षेत्रमें भी सुलभ नहीं है।
६/११
सिंहराशिके बृहस्पति होनेपर तथा व्यतीपात और दण्डयोगमें गोदावरीस्नानसे जिस फलकी प्राप्ति होती है, वही फल भगवान् श्रीकृष्णके पूजनसे भी मिलता है। जो समुद्र और वनसहित समूची पृथ्वीका दान करता है तथा जो कामिका एकादशीका व्रत करता है, वे दोनों समान फलके भागी माने गये हैं।
७/११
जो ब्यायी हुई गायको अन्यान्य सामग्रियोंसहित दान करता है, उस मनुष्यको जिस फलकी प्राप्ति होती है, वही 'कामिका' का व्रत करनेवालेको मिलता है।
८/११
जो नरश्रेष्ठ श्रावणमासमें भगवान् श्रीधरका पूजन करता है, उसके द्वारा गन्धर्वों और नागोंसहित सम्पूर्ण | देवताओंकी पूजा हो जाती है; अतः पापभीरु मनुष्योंको यथाशक्ति करना पूरा प्रयत्न करके 'कामिका' के दिन श्रीहरिका पूजन करना चाहिये।
९/११
लाल मणि, मोती, वैदूर्य और मूँगे आदिसे पूजित होकर भी भगवान् विष्णु वैसे सन्तुष्ट नहीं होते, जैसे तुलसीदलसे पूजित होनेपर होते हैं। जिसने तुलसीकी मञ्जरियोंसे श्रीकेशवका पूजन कर लिया है; उसके जन्मभरका पाप निश्चय ही नष्ट हो जाता है।
१०/११
जो मनुष्य एकादशीको दिन-रात दीपदान करता है, उसके पुण्यकी संख्या चित्रगुप्त भी नहीं जानते। एकादशीके दिन भगवान् श्रीकृष्णके सम्मुख जिसका दीपक जलता है, उसके पितर स्वर्गलोकमें स्थित होकर अमृतपानसे तृप्त होते हैं।
११/११
घी अथवा तिलके तेलसे भगवान्‌के सामने दीपक जलाकर मनुष्य देह-त्यागके पश्चात् पूजित हो स्वर्गलोकमें जाता है।

भगवान् श्रीकृष्ण कहते हैं- युधिष्ठिर! यह तुम्हारे सामने मैंने कामिका एकादशीकी महिमाका वर्णन किया है।यह सब पातकोंको हरनेवाली है अतः मानवोंको इसका व्रत अवश्य करना चाहिये।

You May Also Like