हे क्रुद्ध एवं शूर-वीर महाविष्णु, आपकी ज्वाला एवं ताप चारों दिशाओं में फैली हुई है।
हे नरसिंहदेव प्रभु, आपका चेहरा सर्वव्यापी है, तुम मृत्यु के भी यम हो और मैं आपके समक्ष आत्मसमर्पण करता हूँ।