Margatha Natarajar murthi - Uthirakosamangai temple near Ramanathapuram,TN
#ArudraDarisanam
Unique Natarajar made of emerlad is abt 6 feet tall.
It is always covered with sandal paste.Only on Thriuvadhirai Star in month Margazhi-Nataraja can be worshipped without sandal paste.

After removing the sandal paste,day long rituals & various abhishekam will be https://t.co/e1Ye8DrNWb day Maragatha Nataraja sannandhi will be closed after anointing the murthi with fresh sandal paste.Maragatha Natarajar is covered with sandal paste throughout the year
as Emerald has scientific property of its molecules getting disturbed when exposed to light/water/sound.This is an ancient Shiva temple considered to be 3000 years old -believed to be where Bhagwan Shiva gave Veda gyaana to Parvati Devi.This temple has some stunning sculptures.

More from SK

A #story from #Thiruvilayadal puranam-one of divine leelas of Bhagwan Shiva

#threadseries #madurai

Koodal Kaandam

Story 24 - it is about why Nataraja in Velliyambalam/Silver Dance Hall changed his pose to stand on left leg & raise right leg.

கால் மாறி ஆடிய படலம்


Earlier,Bhagwan Shiva performed Sadhya thadavam as per requests of Pathajali & Vyaghrapada Rishis after Wedding as the convyed to Sundareswarar that they usually have food only after seeing the dance of Thillai
https://t.co/VIpzT0n0Kc see this story 👇


After Vikrama Pandyan, his son Rajasekara Pandyan ruled Madurai Kingdom.Rajsekaran mastered various art forms.Out of 64 art form,except for Natyam- he mastered 63 art forms.

He was very devoted towards Chokkanathar & Velliyambalam Nataraja who is Supreme master of Dance/Bharatam

He didn't attempt to learn Bharatam. He considered it will be a disrespect to practice due to his bhakti towards Nataraja/Bhagwan shiva.

During that time,Chola kingdom was ruled by Karikala Cholan.He was a great king&he patronized all art forms.He has learnt all 64 art forms.

Once a poet from Chola kingdom visited the court of Rajasekara Pandyan.After paying tributes,the poet said that his Raja was master of 64 arts,but pandyan knew only 63.Pandyan felt insulted,but realised that it might be God's will to make him learn Natyam.

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#தினம்_ஒரு_திருவாசகம்
தொல்லை இரும்பிறவிச் சூழும் தளை நீக்கி
அல்லல் அறுத்து ஆனந்தம் ஆக்கியதே – எல்லை
மருவா நெறியளிக்கும் வாதவூர் எங்கோன்
திருவாசகம் என்னும் தேன்

பொருள்:
1.எப்போது ஆரம்பித்தது என அறியப்படமுடியாத தொலை காலமாக (தொல்லை)

2. இருந்து வரும் (இரும்)


3.பிறவிப் பயணத்திலே ஆழ்த்துகின்ற (பிறவி சூழும்)

4.அறியாமையாகிய இடரை (தளை)

5.அகற்றி (நீக்கி),

6.அதன் விளைவால் சுகதுக்கமெனும் துயரங்கள் விலக (அல்லல் அறுத்து),

7.முழுநிறைவாய்த் தன்னுளே இறைவனை உணர்த்துவதே (ஆனந்த மாக்கியதே),

8.பிறந்து இறக்கும் காலவெளிகளில் (எல்லை)

9.பிணைக்காமல் (மருவா)

10.காக்கும் மெய்யறிவினைத் தருகின்ற (நெறியளிக்கும்),

11.என் தலைவனான மாணிக்க வாசகரின் (வாதவூரெங்கோன்)

12.திருவாசகம் எனும் தேன் (திருவா சகமென்னுந் தேன்)

முதல்வரி: பிறவி என்பது முன்வினை விதையால் முளைப்பதோர் பெருமரம். அந்த ‘முன்வினை’ எங்கு ஆரம்பித்தது எனச் சொல்ல இயலாது. ஆனால் ‘அறியாமை’ ஒன்றே ஆசைக்கும்,, அச்சத்துக்கும் காரணம் என்பதால், அவையே வினைகளை விளைவிப்பன என்பதால், தொடர்ந்து வரும் பிறவிகளுக்கு, ‘அறியாமையே’ காரணம்

அறியாமைக்கு ஆரம்பம் கிடையாது. நமக்கு ஒரு பொருளைப் பற்றிய அறிவு எப்போதிருந்து இல்லை? அதைச் சொல்ல முடியாது. அதனாலேதான் முதலடியில், ஆரம்பமில்லாத அஞ்ஞானத்தை பிறவிகளுக்குக் காரணமாகச் சொல்லியது. ஆனால் அறியாமை, அறிவின் எழுச்சியால், அப்போதே முடிந்து விடும்.

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I'm going to do two history threads on Ethiopia, one on its ancient history, one on its modern story (1800 to today). 🇪🇹

I'll begin with the ancient history ... and it goes way back. Because modern humans - and before that, the ancestors of humans - almost certainly originated in Ethiopia. 🇪🇹 (sub-thread):


The first likely historical reference to Ethiopia is ancient Egyptian records of trade expeditions to the "Land of Punt" in search of gold, ebony, ivory, incense, and wild animals, starting in c 2500 BC 🇪🇹


Ethiopians themselves believe that the Queen of Sheba, who visited Israel's King Solomon in the Bible (c 950 BC), came from Ethiopia (not Yemen, as others believe). Here she is meeting Solomon in a stain-glassed window in Addis Ababa's Holy Trinity Church. 🇪🇹


References to the Queen of Sheba are everywhere in Ethiopia. The national airline's frequent flier miles are even called "ShebaMiles". 🇪🇹
Trading view scanner process -

1 - open trading view in your browser and select stock scanner in left corner down side .

2 - touch the percentage% gain change ( and u can see higest gainer of today)


3. Then, start with 6% gainer to 20% gainer and look charts of everyone in daily Timeframe . (For fno selection u can choose 1% to 4% )

4. Then manually select the stocks which are going to give all time high BO or 52 high BO or already given.

5. U can also select those stocks which are going to give range breakout or already given range BO

6 . If in 15 min chart📊 any stock sustaing near BO zone or after BO then select it on your watchlist

7 . Now next day if any stock show momentum u can take trade in it with RM

This looks very easy & simple but,

U will amazed to see it's result if you follow proper risk management.

I did 4x my capital by trading in only momentum stocks.

I will keep sharing such learning thread 🧵 for you 🙏💞🙏

Keep learning / keep sharing 🙏
@AdityaTodmal
दधीचि ऋषि को मनाही थी कि वह अश्विनी कुमारों को किसी भी अवस्था में ब्रह्मविद्या का उपदेश नहीं दें। ये आदेश देवराज इन्द्र का था।वह नहीं चाहते थे कि उनके सिंहासन को प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से कोई भी खतरा हो।मगर जब अश्विनी कुमारों ने सहृदय प्रार्थना की तो महर्षि सहर्ष मान गए।


और उन्होनें ब्रह्मविद्या का ज्ञान अश्विनि कुमारों को दे दिया। गुप्तचरों के माध्यम से जब खबर इन्द्रदेव तक पहुंची तो वे क्रोध में खड़ग ले कर गए और महर्षि दधीचि का सर धड़ से अलग कर दिया।मगर अश्विनी कुमार भी कहां चुप बैठने वाले थे।उन्होने तुरंत एक अश्व का सिर महर्षि के धड़ पे...


...प्रत्यारोपित कर उन्हें जीवित रख लिया।उस दिन के पश्चात महर्षि दधीचि अश्वशिरा भी कहलाए जाने लगे।अब आगे सुनिये की किस प्रकार महर्षि दधीचि का सर काटने वाले इन्द्र कैसे अपनी रक्षा हेतु उनके आगे गिड़गिड़ाए ।

एक बार देवराज इन्द्र अपनी सभा में बैठे थे, तो उन्हे खुद पर अभिमान हो आया।


वे सोचने लगे कि हम तीनों लोकों के स्वामी हैं। ब्राह्मण हमें यज्ञ में आहुति देते हैं और हमारी उपासना करते हैं। फिर हम सामान्य ब्राह्मण बृहस्पति से क्यों डरते हैं ?उनके आने पर क्यों खड़े हो जाते हैं?वे तो हमारी जीविका से पलते हैं। देवर्षि बृहस्पति देवताओं के गुरु थे।

अभिमान के कारण ऋषि बृहस्पति के पधारने पर न तो इन्द्र ही खड़े हुए और न ही अन्य देवों को खड़े होने दिया।देवगुरु बृहस्पति इन्द्र का ये कठोर दुर्व्यवहार देख कर चुप चाप वहां से लौट गए।कुछ देर पश्चात जब देवराज का मद उतरा तो उन्हे अपनी गलती का एहसास हुआ।
🌺कैसे बने गरुड़ भगवान विष्णु के वाहन और क्यों दो भागों में फटी होती है नागों की जिह्वा🌺

महर्षि कश्यप की तेरह पत्नियां थीं।लेकिन विनता व कद्रु नामक अपनी दो पत्नियों से उन्हे विशेष लगाव था।एक दिन महर्षि आनन्दभाव में बैठे थे कि तभी वे दोनों उनके समीप आकर उनके पैर दबाने लगी।


प्रसन्न होकर महर्षि कश्यप बोले,"मुझे तुम दोनों से विशेष लगाव है, इसलिए यदि तुम्हारी कोई विशेष इच्छा हो तो मुझे बताओ। मैं उसे अवश्य पूरा करूंगा ।"

कद्रू बोली,"स्वामी! मेरी इच्छा है कि मैं हज़ार पुत्रों की मां बनूंगी।"
विनता बोली,"स्वामी! मुझे केवल एक पुत्र की मां बनना है जो इतना बलवान हो की कद्रू के हज़ार पुत्रों पर भारी पड़े।"
महर्षि बोले,"शीघ्र ही मैं यज्ञ करूंगा और यज्ञ के उपरांत तुम दोनो की इच्छाएं अवश्य पूर्ण होंगी"।


महर्षि ने यज्ञ किया,विनता व कद्रू को आशीर्वाद देकर तपस्या करने चले गए। कुछ काल पश्चात कद्रू ने हज़ार अंडों से काले सर्पों को जन्म दिया व विनता ने एक अंडे से तेजस्वी बालक को जन्म दिया जिसका नाम गरूड़ रखा।जैसे जैसे समय बीता गरुड़ बलवान होता गया और कद्रू के पुत्रों पर भारी पड़ने लगा


परिणामस्वरूप दिन प्रतिदिन कद्रू व विनता के सम्बंधों में कटुता बढ़ती गयी।एकदिन जब दोनो भ्रमण कर रहीं थी तब कद्रू ने दूर खड़े सफेद घोड़े को देख कर कहा,"बता सकती हो विनता!दूर खड़ा वो घोड़ा किस रंग का है?"
विनता बोली,"सफेद रंग का"।
तो कद्रू बोली,"शर्त लगाती हो? इसकी पूँछ तो काली है"।