This mf was allegedly looking for the Atlantis? Did the US Navy battle UFOs from inner earth protecting the Nazi Antarctic sanctuary in 1947? ... The Naval expedition was headed by famed polar explorer Admiral Richard Byrd, who had been ordered to: “to consolidate and extend*

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॥ॐ॥
अस्य श्री गायत्री ध्यान श्लोक:
(gAyatri dhyAna shlOka)
• This shloka to meditate personified form of वेदमाता गायत्री was given by Bhagwaan Brahma to Sage yAgnavalkya (याज्ञवल्क्य).

• 14th shloka of गायत्री कवचम् which is taken from वशिष्ठ संहिता, goes as follows..


• मुक्ता-विद्रुम-हेम-नील धवलच्छायैर्मुखस्त्रीक्षणै:।
muktA vidruma hEma nIla dhavalachhAyaiH mukhaistrlkShaNaiH.

• युक्तामिन्दुकला-निबद्धमुकुटां तत्वार्थवर्णात्मिकाम्॥
yuktAmindukalA nibaddha makutAm tatvArtha varNAtmikam.

• गायत्रीं वरदाभयाङ्कुश कशां शुभ्रं कपालं गदाम्।
gAyatrIm vardAbhayANkusha kashAm shubhram kapAlam gadAm.

• शंखं चक्रमथारविन्दयुगलं हस्तैर्वहन्ती भजै॥
shankham chakramathArvinda yugalam hastairvahantIm bhajE.

This shloka describes the form of वेदमाता गायत्री.

• It says, "She has five faces which shine with the colours of a Pearl 'मुक्ता', Coral 'विद्रुम', Gold 'हेम्', Sapphire 'नील्', & a Diamond 'धवलम्'.

• These five faces are symbolic of the five primordial elements called पञ्चमहाभूत:' which makes up the entire existence.

• These are the elements of SPACE, FIRE, WIND, EARTH & WATER.

• All these five faces shine with three eyes 'त्रिक्षणै:'.
शमशान में जब महर्षि दधीचि के मांसपिंड का दाह संस्कार हो रहा था तो उनकी पत्नी अपने पति का वियोग सहन नहीं कर पायी और पास में ही स्थित विशाल पीपल वृक्ष के कोटर में अपने तीन वर्ष के बालक को रख के स्वयं चिता पे बैठ कर सती हो गयी ।इस प्रकार ऋषी दधीचि और उनकी पत्नी की मुक्ति हो गयी।


परन्तु पीपल के कोटर में रखा बालक भूख प्यास से तड़पने लगा। जब कुछ नहीं मिला तो वो कोटर में पड़े पीपल के गोदों (फल) को खाकर बड़ा होने लगा। कालान्तर में पीपल के फलों और पत्तों को खाकर बालक का जीवन किसी प्रकार सुरक्षित रहा।

एक दिन देवर्षि नारद वहां से गुजर रहे थे ।नारद ने पीपल के कोटर में बालक को देख कर उसका परिचय मांगा -
नारद बोले - बालक तुम कौन हो?
बालक - यही तो मैं भी जानना चहता हूँ ।
नारद - तुम्हारे जनक कौन हैं?
बालक - यही तो मैं भी जानना चाहता हूँ ।

तब नारद ने आँखें बन्द कर ध्यान लगाया ।


तत्पश्चात आश्चर्यचकित हो कर बालक को बताया कि 'हे बालक! तुम महान दानी महर्षि दधीचि के पुत्र हो । तुम्हारे पिता की अस्थियों का वज्रास्त्र बनाकर ही देवताओं ने असुरों पर विजय पायी थी।तुम्हारे पिता की मृत्यु मात्र 31 वर्ष की वय में ही हो गयी थी'।

बालक - मेरे पिता की अकाल मृत्यु का क्या कारण था?
नारद - तुम्हारे पिता पर शनिदेव की महादशा थी।
बालक - मेरे उपर आयी विपत्ति का कारण क्या था?
नारद - शनिदेव की महादशा।
इतना बताकर देवर्षि नारद ने पीपल के पत्तों और गोदों को खाकर बड़े हुए उस बालक का नाम पिप्पलाद रखा और उसे दीक्षित किया।