Introducing Kesri, the collector of ancient songs of Medhini, the primal Earth.❄️new stories begin as floating drifting leaves.

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🌺श्री गरुड़ पुराण - संक्षिप्त वर्णन🌺

हिन्दु धर्म के 18 पुराणों में से एक गरुड़ पुराण का हिन्दु धर्म में बड़ा महत्व है। गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद सद्गती की व्याख्या मिलती है। इस पुराण के अधिष्ठातृ देव भगवान विष्णु हैं, इसलिए ये वैष्णव पुराण है।


गरुड़ पुराण के अनुसार हमारे कर्मों का फल हमें हमारे जीवन-काल में तो मिलता ही है परंतु मृत्यु के बाद भी अच्छे बुरे कार्यों का उनके अनुसार फल मिलता है। इस कारण इस पुराण में निहित ज्ञान को प्राप्त करने के लिए घर के किसी सदस्य की मृत्यु के बाद का समय निर्धारित किया गया है...

..ताकि उस समय हम जीवन-मरण से जुड़े सभी सत्य जान सकें और मृत्यु के कारण बिछडने वाले सदस्य का दुख कम हो सके।
गरुड़ पुराण में विष्णु की भक्ति व अवतारों का विस्तार से उसी प्रकार वर्णन मिलता है जिस प्रकार भगवत पुराण में।आरम्भ में मनु से सृष्टि की उत्पत्ति,ध्रुव चरित्र की कथा मिलती है।


तदुपरांत सुर्य व चंद्र ग्रहों के मंत्र, शिव-पार्वती मंत्र,इन्द्र सम्बंधित मंत्र,सरस्वती मंत्र और नौ शक्तियों के बारे में विस्तार से बताया गया है।
इस पुराण में उन्नीस हज़ार श्लोक बताए जाते हैं और इसे दो भागों में कहा जाता है।
प्रथम भाग में विष्णुभक्ति और पूजा विधियों का उल्लेख है।

मृत्यु के उपरांत गरुड़ पुराण के श्रवण का प्रावधान है ।
पुराण के द्वितीय भाग में 'प्रेतकल्प' का विस्तार से वर्णन और नरकों में जीव के पड़ने का वृत्तांत मिलता है। मरने के बाद मनुष्य की क्या गति होती है, उसका किस प्रकार की योनियों में जन्म होता है, प्रेत योनि से मुक्ति के उपाय...