Ancient Indian Chemists !!
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पूर्व काल में भारत में अनेक रसायनज्ञ हुए
नागार्जुन-रसरत्नाकर ,कक्षपुटतंत्र, आरोग्य मंजरी, योग सार, योगाष्टक
वाग्भट्ट - रसरत्न समुच्चय
गोविंदाचार्य - रसार्णव
यशोधर - रस प्रकाश सुधाकर
रामचन्द्र - रसेन्द्र चिंतामणि
सोमदेव- रसेन्द्र चूड़ामणि
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Nagarjuna can be called wizard of Chemistry and Super Metallurgist
सनातन कालीन परिप्रेक्ष्य में रसायन एवं धातु कर्म विज्ञान के सन्दर्भ में नागार्जुन का नाम अमर है
इन्होने विभिन्न धातुओं को सोने में बदलने की विधि का वर्णन किया था. एवं इसका सफलतापूर्वक प्रदर्शन भी किया था
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नागार्जुन ने रसायन शास्त्र और धातु विज्ञान पर बहुत शोध कार्य किया
इन्होंने कई पुस्तकों की रचना की जिनमें ‘रस रत्नाकर’ और ‘रसेन्द्र मंगल’ बहुत प्रसिद्ध हैं
चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में इनकी प्रसिद्ध पुस्तकें ‘कक्षपुटतंत्र’, ‘आरोग्य मंजरी’, ‘योग सार’ और ‘योगाष्टक’ हैं।
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रस रत्नाकर ग्रंथ में मुख्य रस
(१) महारस
(२) उपरस
(३) सामान्यरस
(४) रत्न
(५) धातु
(६) विष
(७) क्षार
(८) अम्ल
(९) लवण
(१०) भस्म
महारस
(१) अभ्रं
(२) वैक्रान्त
(३) भाषिक
(४) विमला
(५) शिलाजतु
(६) सास्यक
(७)चपला
(८) रसक
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उपरस
(१) गंधक
(२) गैरिक
(३) काशिस
(४) सुवरि
(५) लालक
(६) मन: शिला
(७) अंजन
(८) कंकुष्ठ
सामान्य रस
(१) कोयिला
(२) गौरीपाषाण
(३) नवसार
(४) वराटक
(५) अग्निजार
(६) लाजवर्त
(७) गिरि सिंदूर
(८) हिंगुल
(९) मुर्दाड श्रंगकम्
इसी प्रकार दस से अधिक प्रकार के विष हैं।
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