Authors शाण्डिल्योऽस्मि

7 days 30 days All time Recent Popular
(थ्रेड)

वर्ण व्यवस्था जन्मना या कर्मणा ?

इस थ्रेड का लक्ष्य वर्णाश्रम व्यवस्थाके संबंध मे किए गए अनर्गल प्रलापों का निराकरण करने तथा धार्मिक एवं सुधि जनों के हृदय मे विद्यमान भ्रांतियों को दूर करने का है।

नोट – पाठको से प्रार्थना है की वे अपने हृदय से सभी पूर्वाग्रहों को


निकाल कर प्रारंभ से ले कर अंत तक इस थ्रेड को पढ़ें यदि पढ़ने के उपरांत कोई शंका हुई तो उसका समाधान समय मिलने पर शास्त्रीय प्रमाणों के द्वारा किया जाएगा।

आज हम इस थ्रेड मे ४ प्रश्नों पर विचार करेंगे यथा –

१.वर्ण व्यवस्था जन्मना होती है या कर्मणा ? शास्त्रीय पक्ष क्या है ?

२.क्या वर्ण और जाती अलग अलग है ?
३.क्या वर्ण एवं जातियों का प्रभेद समाप्त कर सबका हिन्दू हो जाना ठीक है ?
४.क्या हिंदुओं का पतन वर्ण व्यवस्था के कारण हुआ है या हो रहा है ?

इन सभी प्रश्नों का निराकरण शास्त्रीय पक्षों एवं तर्कों के आधार पर किया जाएगा जिन महानुभावो को कष्ट या

आपत्ति हो वो गाल बजाने अर्थात कुतर्क करने की अपेक्षा शास्त्रीय पक्ष के द्वारा पूर्वपक्ष करने मे स्वतंत्र हैं उसका समुचित उत्तर समय मिलने पर दिया जाएगा । अमर्यादित टिप्पणी करने पर सीधा ब्लॉक किये जाएंगे अतः सावधान रहें -

अब हम अपने विषय पर आते हैं, हमारा पहला प्रश्न ये है की -

१. वर्ण व्यवस्था जन्मना होती है या कर्मणा ? शास्त्रीय पक्ष क्या है ?

उत्तर - आए दिन हम “वर्णव्यवस्था जन्मना या कर्मणा” इस चर्चा को देखते रहते हैं इस चर्चा मे पूर्वाग्रह से ग्रसित कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी पुराणेतिहास, स्मृति, गीता आदि आर्ष ग्रंथों के किसी एक श्लोक अथवा वचन को उठा