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✓योगनिद्रा✓
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योगनिद्रा का मतलब होता है अतीन्द्रिय निद्रा । यह वह नींद है जिसमें जागते हुए सोना है । यह निद्रा और जागृति के मध्य की स्थिति है ।
यह हमारी आन्तरिक जागरूकता की स्थिति है । इसमें हम चेतना , अवचेतन मन और उच्च चेतना से सम्बन्ध स्थापित करते हैं ।


अभ्यास की प्रारम्भिक स्थिति में किसी बोलने वाले का होना आवश्यक है । इसके लिए यदि सम्भव हो तो टेप रिकार्डर का इस्तेमाल किया जा सकता है । आगे चलकर जब आपको निर्देश याद हो जायेंगे तो आप स्वयं ही अकेले में अभ्यास कर सकते हैं ।

योगनिद्रा में अभ्यासी गहन शिथिलन की स्थिति में पहुँच जाता है । नींद की प्रारम्भिक तैयारी के रूप में भी इसका अभ्यास किया जाता है । बहुत से लोग यह नहीं जानते कि किस तरह सोना चाहिए । वे अनेक प्रकार की चिन्ताओं का बोझ लिए हुए अपनी समस्याओं पर विचार करते हुए सो जाते हैं ।

नींद में भी उनका मन सक्रिय तथा शरीर तनावपूर्ण रहता है । जब वे सोकर उठते हैं , तो उन्हें थकान लगती है । नींद के द्वारा उन्हें विश्राम नहीं मिल पाता । बहुत मुश्किल से कोशिश करते - करते वे आधे घण्टे के बाद बिस्तर से उठते हैं । अत : हर व्यक्ति को वैज्ञानिक ढंग से सोने की कला सीखनी

चाहिए।
सोने के पहले योगनिद्रा का अभ्यास करें । इससे सम्पूर्ण शरीर और मन शिथिल हो जायेगा । नींद गहरी आयेगी और कम समय में पूरी हो जायेगी और जागने पर आप ताजगी एवं स्फूर्ति का अनुभव करेंगे । योगनिद्रा के अभ्यास में शारीरिक केन्द्रों की स्थिति अन्तर्मुखी हो जाती है ।