SriramKannan77 Authors Harsh Sharma

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बिना जन्मपत्री, कुंडली, ज्योतिष के आप भी यह जान सकते हैं कि कौन सा ग्रह आपको अनुकूल या प्रतिकूल प्रभाव दे रहा है , हमारे ऋषियों ने इसके लिए हथेली के पर्वत से इसका समाधान निकाला है।
प्रत्येक हथेली में नौ क्षेत्र महत्वपूर्ण है
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बृहस्पति का पर्वत – आध्यात्मिकता
शनि का पर्वत – गंभीरता
सूर्य का पर्वत – प्रतिष्ठा
बुध का पर्वत – वाणिज्य
मंगल ग्रह उंचा पर्वत – जीवन शक्ति
चंद्रमा का पर्वत – कल्पना
शुक्र का पर्वत – प्रेम
मंगल ग्रह निम्न पर्वत – क्रोध
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हस्त रेखा में नक्षत्र या तारा
उनके प्रभाव
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1.यदि गुरु पर्वत पर नक्षत्र का चिन्ह हो, तो वह व्यक्ति पूर्ण सफलता प्राप्त करता हैं
2. यदि शनि पर्वत पर यह चिन्ह हो तो,ऐसा व्यक्ति तंत्र-मंत्र गुह्यविधायो का ज्ञाता होता हैं

3.यदि सूर्य पर्वत पर नक्षत्र हो तो पूर्ण धन लाभ होता हैं और प्रसिद्धि प्राप्त होती हैं
4.यदि बुध पर्वत पर नक्षत्र या तारा हो तो व्यापारिक तथा उच्च कोटि का वैज्ञानिक उपलब्धि प्राप्त करता हैं
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5. यदि केतु पर्वत पर हो तो उस व्यक्ति का बचपन अत्यन्त सुख में बीतता हैं

6.यदि शुक्र पर्वत पर हो तो कामुकता व भोग की सामग्रियों से सम्पन्न होता हैं

7.मंगल पर्वत पर नक्षत्र का चिन्ह हो तो वह व्यक्ति साहसी होता हैं अपने पराक्रम से प्रतिष्ठा प्राप्त करता हैं

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इज़रायल-प्रश्न...
1940 के दशक के बीच में अचानक हंगारी, पोलैंड, जर्मनी, ऑस्ट्र‍िया के यहूदियों ने पाया था कि वे एक क़तार में खड़े हैं और क़तार ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। यहूदियों के घरों में
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गेस्टापो के जवान घुस जाते और कहते, "बाहर निकलकर क़तार में खड़े हो जाओ!" सड़क पर चलती बसों को रोक दिया जाता और कहा जाता कि "यहूदी मुसाफ़िर बाहर निकलकर क़तार में खड़े हो जाएं!" ऑश्व‍ित्ज़ बिर्केनाऊ में
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घुसते ही इन यहूदियों से कहा जाता : "क़तार में लग जाओ।" ये क़त्ल की क़तार होती!

ऑस्कर शिंडलर की फ़ेहरिस्त बहुत मशहूर है। 1940 के दशक के बीचोबीच यूरोप में एक ऐसा वक़्त आ गया था, जब यहूदी हमेशा अपने को इन
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क़तारों और फ़ेहरिस्तों में पाते थे, हाज़िरी भरते हुए : "इत्ज़ाक श्टेर्न, येस्स सर।" "हेलेन हेर्श, येस्स सर।" "लियो रोज़्नर, येस्स सर।" "पोल्डेक पेफ़ेरबर्ग, हियर आएम सर!"

और त‍ब, एक दिन यहूदियों ने पूछा :
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"क्या ये क़तार और फ़ेहरिस्त ही हमारा वतन है? ये जो लोग आज हम पर थूक रहे हैं, क्या ये ही हमारे हमवतन हैं?"

जंग शुरू होने से पहले यूरोप में 1.7 करोड़ यहूदी थे। जंग में 60 लाख यहूदियों को विधिपूर्वक मार
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#Thread
भगवदपाद जगद्गुरु आदिशंकराचार्य की जयंती वैशाख शुक्ल पक्ष पंचमी विक्रम सम्वत २०७८ तदानुसार 17 मई 2021,सोमवार*
पढ़िए उनके बारे में...
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साक्षात् शंकर के अवतार, युगद्रष्टा, महान् व्यक्तित्व, धर्मज्ञ, समाज-सुधारक, दार्शनिक, कवि, साहित्यकार, योगी, भक्त, गुरु, कर्मनिष्ठ, विभिन्न सम्प्रदायों एवं मतों के समन्वयकर्ता, अद्वैतवाद, शुद्धाद्वैतवाद और निर्गुण ब्रह्म सगुण-साकार भक्ति के ज्ञाता
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'ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या'' के उद्घोषक शांकर पीठों व दशनामी अखाड़ों के निर्माता, कुम्भ व्यवस्था के उद्घोषक, द्वादश ज्योतिर्लिंगों के व्यवस्थापक, 180 से अधिक रचनाओं जैसे प्रस्थानत्रयी (उपनिषद्, ब्रह्मसूत्र और भगवद्गीता) पर भाष्य तथा अद्वैतवेदान्त के अनेक मौलिक ग्रंथों एवं
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स्तोत्रों के रचयिता तथा अवैदिक मत-मतांतरवालों को शास्त्रार्थ के माध्यम से परास्त करनेवाले भगवत्पाद श्री आदि शंकराचार्य की जयंती, वैशाख शुक्ल पंचमी विक्रम संवत २०७८ (17 मई 2021) के अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएँ।
आद्यगुरू शंकराचार्य ने आठ वर्ष की आयु में गृहस्थ जीवन त्याग
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सन्यास का रास्ता चुना व पैदल भारत भ्रमण कर सनातन वैदिक धर्म की पुनर्स्थापना की।उन्होंने अद्वैतवाद का प्रचार कर देश के चारों कोनों में पीठों की स्थापना कर हिंदू धर्म की ध्वजा दुनिया भर में फहराई। आदि शंकराचार्य को शिव का अवतार भी कहा जाता है। 32 वर्ष की अल्पआयु में जगद्गुरु
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