SriramKannan77 Authors Riyanshi Mitra

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Presenting a small thread on some of our rishis of ancient time.

1. ऋषि वशिष्ठ- ऋषि वशिष्ठ राजा दशरथ के कुलगुरु और चारों पुत्रों श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के गुरु थे। वशिष्ठ के कहने पर दशरथ ने अपने चारों पुत्रों को ऋषि विश्वामित्र के साथ आश्रम में राक्षसों का वध करने...


...के लिए भेज दिया था। कामधेनु गाय के लिए वशिष्ठ और विश्वामित्र में युद्ध भी हुआ था।

2. ऋषि विश्वामित्र- ऋषि बनने से पहले विश्वामित्र एक राजा थे और वे ऋषि वशिष्ठ से कामधेनु गाय हड़पना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने युद्ध भी किया था, लेकिन वे वशिष्ठ ऋषि से हार गए। इस हार ने ही...


...उन्हें घोर तपस्या के लिए प्रेरित किया। विश्वामित्र की तपस्या अप्सरा मेनका ने भंग की थी। विश्वामित्र ने एक नए स्वर्ग की रचना भी कर दी थी। विश्वामित्र ने गायत्री मंत्र की रचना की है जो आज भी सबसे चमत्कारी मंत्र है।

3. ऋषि कण्व- वैदिक काल के ऋषि हैं कण्व। इन्होंने अपने आश्रम में हस्तिनापुर के राजा दुष्यंत की पत्नी शकुंतला और उनके पुत्र भरत का पालन-पोषण किया था। भरत के नाम पर ही इस देश का नाम भारत हुआ है। ऋषि कण्व ने लौकिक ज्ञान-विज्ञान और अनिष्ट-निवारण संबंधी असंख्य मंत्र रचे हैं।


4. ऋषि भारद्वाज- वैदिक ऋषियों में भारद्वाज ऋषि का स्थान भी काफी ऊंचा है। भारद्वाज के पिता बृहस्पतिदेव और माता ममता थीं। भारद्वाज ऋषि श्रीराम के जन्म से पहले अवतरित हुए थे, इनकी लंबी आयु का पता इस बात से चलता है कि वनवास के समय श्रीराम इनके आश्रम में गए थे। भारद्वाज ऋषि ने...