SriramKannan77 Authors ॥कर्व॥🚩

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इस मानचित्र में उन सभी शहरों और राज्यों की राजधानियों का जिक्र संस्कृत में किया गया है, जो महाभारतकाल में मौजूद थे। मानचित्र में आप देख सकते हैं कि इसके पश्चिमोत्तर में गंधार (अफगानिस्तान) का उल्लेख है, वहीं, भारत की हृदयस्थली पर पांचाल उल्लिखित है।

1.

#महाभारतकाल 🚩


जिसका नाम हिन्दुस्तान है वह भारतवर्ष का एक टुकड़ा मात्र है। जिसे आर्यावर्त कहते हैं वह भी भारतवर्ष का एक हिस्साभर है और जिसे भारतवर्ष कहते हैं वह तो जम्बू द्वीप का एक हिस्सा है मात्र है।

#जम्बूद्वीप #भारतवर्ष 🚩

2.


जम्बू द्वीप में पहले देव-असुर और फिर बहुत बाद में कुरुवंश और पुरुवंश की लड़ाई और विचारधाराओं के टकराव के चलते यह जम्बू द्वीप कई भागों में बंटता चला गया।

#जम्बूद्वीप #भारतवर्ष 🚩

3.
पुराणों के अनुसार सात ऐसी पुरियों का निर्माण किया गया है, जहां इंसान को मुक्ति प्राप्त होती है। मोक्ष यानी कि मुक्ति, जो इंसान को जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति देती है। इन मोक्ष दायिनी पुरियों में शरीर त्यागना मनुष्य जीवन के लिए सभी मूल्यवान वस्तुओं से ऊपर है।

#सप्तपुरियां

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1.) त्रेता युग से कलयुग तक अपनी पहचान बनाने वाले अयोध्या शहर को अथर्ववेद में ईश्वर का नगर बताया गया है। इस पवित्र नगरी के पास सरयू नदी बहती है जहां भगवान श्रीराम ने अपना मानव रूप त्याग कर वैकुण्ठ लोक की ओर प्रस्थान किया था।

#सप्तपुरियां

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2.) पौराणिक कथा के अनुसार मथुरा को भगवान श्रीराम के सबसे छोटे भाई शत्रुघ्न द्वारा खोजा गया था। यह नगरी श्राद्ध कर्म के लिए विशेष है। दूर-दूर से लोग यहां अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए आते हैं। मथुरा नगरी के पास यमुना नदी बहती है। वराह पुराण में कहा गया है कि इस नगरी में.

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जो लोग शुद्ध विचार से निवास करते हैं, वे मनुष्य के रूप में साक्षात देवता हैं।

3.) हरिद्वार दो शब्दों हरि + द्वार का मेल है। मां गंगा के किनारे बसा यह शहर दुनिया के सबसे पवित्र शहरों में से एक है। इसे पौराणिक व्याख्या में "मायापुरी" के नाम से भी पुकारा गया है।

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भोलेनाथ के जटा से निकली गंगा नदी इस शहर की पवित्रता को और भी बढ़ाती है। सदियों से लोग मोक्ष प्राप्ति के लिए हरिद्वार के दर्शन करने आते हैं।

4.) काशी, इसे बनारस या वाराणसी भी कहा जाता है। इस नगरी को गंगा नदी के साथ अन्य दो नदियां वरुणा एवं असी नदी भी यहां मौजूद हैं।

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कल्कि अवतार।

युधिष्ठिर द्वारा मार्कण्डेय से पूछने पर मार्कण्डेय युगान्तकालिक कलियुग समय के बर्ताव के बारे में युधिष्ठिर को बताते हैं और तब कल्कि अवतार का वर्णन के बारे में बताया गया जिसका उल्लेख महाभारत वनपर्व के 'मार्कण्डेयसमस्या पर्व' के अंतर्गत..

1.


अध्याय 190 में बताया गया है मार्कण्डेय का संवाद मार्कण्डेय कहते हैं- युधिष्ठिर युगान्तकाल आने पर सब ओर आग जल उठेगी। उस समय पापीयों को मांगने पर कहीं अन्न, जल या ठहरने के लिये स्थान नहीं मिलेगा। वे सब ओर से कड़वा जवाब पाकर निराश हो सड़कों पर ही सो रहेंगे।

2.

युगान्तकाल उपस्थित होने पर बिजली की कड़क के समान कड़वी बोली बोलने वाले कौवे, हाथी, शकुन, पशु और पक्षी आदि बड़ी कठोर वाणी बोलेंगे। उस समय के मनुष्य अपने मित्रों, सम्बन्धियों, सेवकों तथा कुटुम्बीजनों की भी अकारण त्याग देंगे।

3.

प्रायः लोग स्वदेश छोड़कर दूसरे देशों, दिशाओं, नगरों और गांवों का आश्रय लेंगे इत्यादि रूप से अत्यन्त दुःखद वाणी में एक-दूसरे को पुकारते हुए इस पृथ्वी पर विचरेंगे। युगान्तकाल में संसारकी यही दशा होगी। उस समय एक ही साथ समस्त लोकों का भयंकर संहार होगा।

4.

तदन्तर कालान्तर में सत्ययुग का आरम्भ होगा और फिर क्रमशः ब्राह्मण आदि वर्ण प्रकट होकर अपने प्रभाव का विस्तार करेंगे। उस समय लोक के अभ्युदय के लिये पुनः अनायास दैव अनुकूल होगा।

5.