Do u know about the Diamond known as The Eye of Brahma?

The Eye of Brahma also known as Black Orlov is 7th largest black diamond in the world of Indian origin. It weighs 67.50carats(13.500 g).The diamond was originally 195carats(39.0g)&was discovered in early 19th century India.

The Black Orlov featured as one of the eyes in a statue of the Hindu god Brahma in Puducherry. One night a European Jesuit priest who asked for refuge inside the temple, took advantage of the generosity, plucked and looted the diamond out of the idol's eyes.
It is said after this incident the diamond became cursed.

In 1932, diamond dealer J. W. Paris reportedly took the diamond to the United States, and soon after committed suicide by jumping from a skyscraper in New York City.
Later owners of the diamond included two Russian princesses, Leonila Galitsine-Bariatinsky and Nadia Vygin-Orlov (after whom the diamond is named). Both women allegedly jumped to their deaths in the 1940s.
The diamond was later bought by Charles F. Winson, and cut into three pieces in an attempt to break the curse; the 67.5-carat Black Orlov was set into a brooch of 108 diamonds, suspended from a necklace of 124 diamonds.
Until the discovery of diamonds in South Africa in 1896, India was the only source of diamonds in the world.

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🌺कैसे बने गरुड़ भगवान विष्णु के वाहन और क्यों दो भागों में फटी होती है नागों की जिह्वा🌺

महर्षि कश्यप की तेरह पत्नियां थीं।लेकिन विनता व कद्रु नामक अपनी दो पत्नियों से उन्हे विशेष लगाव था।एक दिन महर्षि आनन्दभाव में बैठे थे कि तभी वे दोनों उनके समीप आकर उनके पैर दबाने लगी।


प्रसन्न होकर महर्षि कश्यप बोले,"मुझे तुम दोनों से विशेष लगाव है, इसलिए यदि तुम्हारी कोई विशेष इच्छा हो तो मुझे बताओ। मैं उसे अवश्य पूरा करूंगा ।"

कद्रू बोली,"स्वामी! मेरी इच्छा है कि मैं हज़ार पुत्रों की मां बनूंगी।"
विनता बोली,"स्वामी! मुझे केवल एक पुत्र की मां बनना है जो इतना बलवान हो की कद्रू के हज़ार पुत्रों पर भारी पड़े।"
महर्षि बोले,"शीघ्र ही मैं यज्ञ करूंगा और यज्ञ के उपरांत तुम दोनो की इच्छाएं अवश्य पूर्ण होंगी"।


महर्षि ने यज्ञ किया,विनता व कद्रू को आशीर्वाद देकर तपस्या करने चले गए। कुछ काल पश्चात कद्रू ने हज़ार अंडों से काले सर्पों को जन्म दिया व विनता ने एक अंडे से तेजस्वी बालक को जन्म दिया जिसका नाम गरूड़ रखा।जैसे जैसे समय बीता गरुड़ बलवान होता गया और कद्रू के पुत्रों पर भारी पड़ने लगा


परिणामस्वरूप दिन प्रतिदिन कद्रू व विनता के सम्बंधों में कटुता बढ़ती गयी।एकदिन जब दोनो भ्रमण कर रहीं थी तब कद्रू ने दूर खड़े सफेद घोड़े को देख कर कहा,"बता सकती हो विनता!दूर खड़ा वो घोड़ा किस रंग का है?"
विनता बोली,"सफेद रंग का"।
तो कद्रू बोली,"शर्त लगाती हो? इसकी पूँछ तो काली है"।
🌺श्री गरुड़ पुराण - संक्षिप्त वर्णन🌺

हिन्दु धर्म के 18 पुराणों में से एक गरुड़ पुराण का हिन्दु धर्म में बड़ा महत्व है। गरुड़ पुराण में मृत्यु के बाद सद्गती की व्याख्या मिलती है। इस पुराण के अधिष्ठातृ देव भगवान विष्णु हैं, इसलिए ये वैष्णव पुराण है।


गरुड़ पुराण के अनुसार हमारे कर्मों का फल हमें हमारे जीवन-काल में तो मिलता ही है परंतु मृत्यु के बाद भी अच्छे बुरे कार्यों का उनके अनुसार फल मिलता है। इस कारण इस पुराण में निहित ज्ञान को प्राप्त करने के लिए घर के किसी सदस्य की मृत्यु के बाद का समय निर्धारित किया गया है...

..ताकि उस समय हम जीवन-मरण से जुड़े सभी सत्य जान सकें और मृत्यु के कारण बिछडने वाले सदस्य का दुख कम हो सके।
गरुड़ पुराण में विष्णु की भक्ति व अवतारों का विस्तार से उसी प्रकार वर्णन मिलता है जिस प्रकार भगवत पुराण में।आरम्भ में मनु से सृष्टि की उत्पत्ति,ध्रुव चरित्र की कथा मिलती है।


तदुपरांत सुर्य व चंद्र ग्रहों के मंत्र, शिव-पार्वती मंत्र,इन्द्र सम्बंधित मंत्र,सरस्वती मंत्र और नौ शक्तियों के बारे में विस्तार से बताया गया है।
इस पुराण में उन्नीस हज़ार श्लोक बताए जाते हैं और इसे दो भागों में कहा जाता है।
प्रथम भाग में विष्णुभक्ति और पूजा विधियों का उल्लेख है।

मृत्यु के उपरांत गरुड़ पुराण के श्रवण का प्रावधान है ।
पुराण के द्वितीय भाग में 'प्रेतकल्प' का विस्तार से वर्णन और नरकों में जीव के पड़ने का वृत्तांत मिलता है। मरने के बाद मनुष्य की क्या गति होती है, उसका किस प्रकार की योनियों में जन्म होता है, प्रेत योनि से मुक्ति के उपाय...
⚜️हमारे शास्त्रों के अनुसार पूजा अर्चना में क्या-क्या कार्य वर्जित हैं, आइए जानें:-⚜️

🌺1) गणेश जी को तुलसी न चढ़ाएं।

🌺2) देवी पर दुर्वा न चढ़ाएं।

🌺3) शिव लिंग पर केतकी फूल न चढ़ाएं।

🌺4) विष्णु को तिलक में अक्षत न चढ़ाएं।

🌺5) दो शंख एक समान पूजा घर में न रखें।


🌺6)मंदिर में तीन गणेश मूर्ति न रखें।

🌺7)तुलसी पत्र चबाकर न खाएं।

🌺8)द्वार पर जूते चप्पल उल्टे न रखें।

🌺9)दर्शन करके वापस लौटते समय घंटा न बजाएं।

🌺10)एक हाथ से आरती नहीं लेनी चाहिए।

🌺11)ब्राह्मण को बिना आसन बैठाना नहीं चाहिए।

🌺12) स्त्री द्वारा दंडवत प्रणाम वर्जित है।


🌺13) बिना दक्षिणा ज्योतिषी से प्रश्न नहीं पूछना चाहिए।

🌺14) घर में पूजा करने के लिए अंगूठे से बड़ा शिवलिंग न रखें।

🌺15) तुलसी पेड़ में शिवलिंग किसी भी स्थान पर न हो।

🌺16) गर्भवती महिला को शिवलिंग स्पर्श नहीं करना है।

🌺17) स्त्री द्वारा मंदिर में नारियल नहीं फोडना है।


🌺18) रजस्वला स्त्री का मंदिर प्रवेश वर्जित है।

🌺19) परिवार में सूतक हो तो पूजा प्रतिमा स्पर्श न करें।

🌺20) शिव जी की पूरी परिक्रमा नहीं की जाती।

🌺21) शिव लिंग से बहते जल को लांघना नहीं चाहिए।

🌺22)एक हाथ से प्रणाम न करें।

🌺23)दूसरे के दीपक से अपना दीपक जलाना नहीं चाहिए।


🌺24)चरणामृत लेते समय दायें हाथ के नीचे एक नैपकीन रखें ताकि एक बूंद भी नीचे न गिरे।

🌺25) चरणामृत पीकर हाथों को सिर या शिखा पर न पोछें बल्कि आंखों पर लगायें शिखा पर गायत्री का निवास होता है उसे अपवित्र न करें।

🌺26) देवताओं को लोभान या लोभान की अगरबत्ती का धूप न करें।

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