भगवान श्रीराम का अयोध्या से लंका मार्ग...

1.तमसा नदी : अयोध्या से 20 किमी दूर है तमसा नदी। यहां पर उन्होंने नाव से नदी पार की।

2.श्रृंगवेरपुर तीर्थ : प्रयागराज से 20-22 किलोमीटर दूर वे श्रृंगवेरपुर पहुंचे, जो निषादराज गुह का राज्य था। यहीं पर गंगा के तट पर उन्होंने केवट
से गंगा पार करने को कहा था। श्रृंगवेरपुर को वर्तमान में सिंगरौर कहा जाता है।

3.कुरई गांव : सिंगरौर में गंगा पार कर श्रीराम कुरई में रुके थे।

4.प्रयाग : कुरई से आगे चलकर श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सहित प्रयाग पहुंचे थे। कुछ महीने पहले तक प्रयाग को इलाहाबाद कहा जाता
था ।
5.चित्रकूणट* : प्रभु श्रीराम ने प्रयाग संगम के समीप यमुना नदी को पार किया और फिर पहुंच गए चित्रकूट। चित्रकूट वह स्थान है, जहां राम को मनाने के लिए भरत अपनी सेना के साथ पहुंचते हैं। तब जब दशरथ का देहांत हो जाता है। भारत यहां से राम की चरण पादुका ले जाकर उनकी चरण पादुका रखकर
राज्य करते हैं।

6.सतना*: चित्रकूट के पास ही सतना (मध्यप्रदेश) स्थित अत्रि ऋषि का आश्रम था। हालांकि अनुसूइया पति महर्षि अत्रि चित्रकूट के तपोवन में रहा करते थे, लेकिन सतना में 'रामवन' नामक स्थान पर भी श्रीराम रुके थे, जहां ऋषि अत्रि का एक ओर आश्रम था।

7.दंडकारण्य*: चित्रकूट
चित्रकूट से निकलकर श्रीराम घने वन में पहुंच गए। असल में यहीं था उनका वनवास। इस वन को उस काल में दंडकारण्य कहा जाता था। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्रों को मिलाकर दंडकाराण्य था। दंडकारण्य में छत्तीसगढ़, ओडिशा एवं आंध्रप्रदेश राज्यों के अधिकतर हिस्से शामिल
हैं। दरअसल, उड़ीसा की महानदी के इस पास से गोदावरी तक दंडकारण्य का क्षेत्र फैला हुआ था। इसी दंडकारण्य का ही हिस्सा है आंध्रप्रदेश का एक शहर भद्राचलम। गोदावरी नदी के तट पर बसा यह शहर सीता-रामचंद्र मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर भद्रगिरि पर्वत पर है। कहा जाता है कि श्रीराम ने
अपने वनवास के दौरान कुछ दिन इस भद्रगिरि पर्वत पर ही बिताए थे। स्थानीय मान्यता के मुताबिक दंडकारण्य के आकाश में ही रावण और जटायु का युद्ध हुआ था और जटायु के कुछ अंग दंडकारण्य में आ गिरे थे। ऐसा माना जाता है कि दुनियाभर में सिर्फ यहीं पर जटायु का एकमात्र मंदिर है।

8.पंचवटी नासिक
दण्डकारण्य में मुनियों के आश्रमों में रहने के बाद श्रीराम अगस्त्य मुनि के आश्रम गए। यह आश्रम नासिक के पंचवटी क्षे‍त्र में है जो गोदावरी नदी के किनारे बसा है। यहीं पर लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक काटी थी। राम-लक्ष्मण ने खर व दूषण के साथ युद्ध किया था। गिद्धराज जटायु से श्रीराम की
मैत्री भी यहीं हुई थी। वाल्मीकि रामायण, अरण्यकांड में पंचवटी का मनोहर वर्णन मिलता है।

9.सर्वतीर्थ नासिक क्षेत्र में शूर्पणखा, मारीच और खर व दूषण के वध के बाद ही रावण ने सीता का हरण किया और जटायु का भी वध किया था जिसकी स्मृति नासिक से 56 किमी दूर ताकेड गांव में 'सर्वतीर्थ'
नामक स्थान पर आज भी संरक्षित है। जटायु की मृत्यु सर्वतीर्थ नाम के स्थान पर हुई, जो नासिक जिले के इगतपुरी तहसील के ताकेड गांव में मौजूद है। इस स्थान को सर्वतीर्थ इसलिए कहा गया, क्योंकि यहीं पर मरणासन्न जटायु ने सीता माता के बारे में बताया।
10.पर्णशाला:* पर्णशाला आंध्रप्रदेश में खम्माम जिले के भद्राचलम में स्थित है। रामालय से लगभग 1 घंटे की दूरी पर स्थित पर्णशाला को 'पनशाला' या 'पनसाला' भी कहते हैं। पर्णशाला गोदावरी नदी के तट पर स्थित है। मान्यता है कि यही वह स्थान है, जहां से सीताजी का हरण हुआ था।
मानते हैं कि इस स्थान पर रावण ने अपना विमान उतारा था। इस स्थल से ही रावण ने सीता को पुष्पक विमान में बिठाया था यानी सीताजी ने धरती यहां छोड़ी थी। इसी से वास्तविक हरण का स्थल यह माना जाता है। यहां पर राम-सीता का प्राचीन मंदिर है।

11.तुंगभद्रा*: सर्वतीर्थ और पर्णशाला
के बाद श्रीराम-लक्ष्मण सीता की खोज में तुंगभद्रा तथा कावेरी नदियों के क्षेत्र में पहुंच गए। तुंगभद्रा एवं कावेरी नदी क्षेत्रों के अनेक स्थलों पर वे सीता की खोज में गए।

12.शबरी का आश्रम: तुंगभद्रा और कावेरी नदी को पार करते हुए राम और लक्ष्‍मण चले सीता की खोज में। जटायु और कबंध
से मिलने के पश्‍चात वे ऋष्यमूक पर्वत पहुंचे। रास्ते में वे पम्पा नदी के पास शबरी आश्रम भी गए, जो आजकल केरल में स्थित है। शबरी जाति से भीलनी थीं और उनका नाम था श्रमणा। 'पम्पा' तुंगभद्रा नदी का पुराना नाम है। इसी नदी के किनारे पर हम्पी बसा हुआ है।

13.ऋष्यमूक पर्वत : मलय पर्वत और
और चंदन वनों को पार करते हुए वे ऋष्यमूक पर्वत की ओर बढ़े। यहां उन्होंने हनुमान और सुग्रीव से भेंट की, सीता के आभूषणों को देखा और श्रीराम ने बाली का वध किया। ऋष्यमूक पर्वत वाल्मीकि रामायण में वर्णित वानरों की राजधानी किष्किंधा के निकट स्थित था। ऋष्यमूक पर्वत तथा किष्किंधा नगर
कर्नाटक के हम्पी, जिला बेल्लारी में स्थित है। पास की पहाड़ी को 'मतंग पर्वत' माना जाता है। इसी पर्वत पर मतंग ऋषि का आश्रम था जो हनुमानजी के गुरु थे।

14.कोडीकरई हनुमान और सुग्रीव से मिलने के बाद श्रीराम ने वानर सेना का गठन किया और लंका की ओर चल पड़े। तमिलनाडु की एक लंबी तटरेखा
जो लगभग 1,000 किमी तक विस्‍तारित है। कोडीकरई समुद्र तट वेलांकनी के दक्षिण में स्थित है, जो पूर्व में बंगाल की खाड़ी और दक्षिण में पाल्‍क स्‍ट्रेट से घिरा हुआ है। यहां श्रीराम की सेना ने पड़ाव डाला और श्रीराम ने अपनी सेना को कोडीकरई में एकत्रित कर विचार विमर्ष किया।

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The Kakanmath temple was commissioned y Kachchhapaghata ruler Kirttiraja (1015-1035 CE). This can be inferred from a Kachchhapaghata inscription found at the Sas-Bahu Temple in Gwalior
Originally, the site had a temple complex, with a central temple surrounded by four subsidiary

https://t.co/6OeOm96Oxp


shrines. Only the ruins of the central temple stand now..

The temple stands on an ornate base (pitha). The building includes a sanctum, a vestibule, and two halls (gudha-mandapa and mukha-mandapa). The sanctum has a circumambulatory path with three transepts.

The gudha-mandapa has lateral transepts, and four clusters of pillars; each cluster contains four pillars.
The pic actually defines the greatest Indian Yoga Phil osophy and asaimilates shaivite Shakt Darshan with kundalini Shakti
I'm the pic central straight 3 lines represent 3 Nadis d left one is Pingala (controls Action part of human) & right one is Ida connects earth with human


and control sensual part of body whereas middle part is Shushuma nadi on which seven chakras of Yoga in different stage of dhyan are represented which r

1. Muladhar
2. Swadishthana
3. Manipura
4. Anhat
5. Vishuddhi
6. Ajn
7. Sahasraar

Each chakra has its own phase and control a tatva of human body 5 kala are

1. Nivrati kala- all trapeze of earth (पृथ्वी) tatva r seized here
2. Pratishtha kala- all macro & micro srushti kalas assimilates here all trapeze from prathvi to jala tatva seizes here

3. Vidya kala- All trapeze from Purush tatva to maya tatva seizes here
4. Shanti kala- all aspects from shuddh kala to shakti kala assimilated here
5. Shantayateet kala- beyond shanti kala it stays in shiva

5 shiva in each kala

1. Adhar- south headed shiva
2. Vamdev- North headed Shiva yellow varn kriya shakti undeveloped
3. Sandyojaat(संद्योजात)- westheaded white varn shoonya sensitive raudri (रौद्री)
4. Tatpurush (तत्पुरुष)- east headed red varna sleep form kapalik
WHAT IS TATV OF ENTIRE MANTRAS ?

मन्त्र के अन्य तत्त्व -

1. ऋषि- शिवमुख से जिस ऋषि ने मन्त्र को सुनकर सिद्ध किया वही उसका प्रणेता है। उस मन्त्र का आदिगुरु उस ऋषि को मानकर जप करने से फल प्राप्त होगा। अतः विनियोग में ऋषि का उल्लेख जरुरी है।


2. देवता- मन्त्र की शक्ति के अधिष्ठाता देव का ज्ञान होना जरुरी है।

3. छन्दः संसार की उत्पत्ति हेतु ब्रह्म की शक्ति का छन्दोमय आवरण माना है अतः मन्त्र की शक्ति का विभाग, प्रकार जानने हेतु छन्द का ज्ञान विनियोग हेतु जरूरी है।

4. बीज मन्त्र जो बीज है उसी अनुरूप मन्त्र का फल व दिशा होती है अतः इसका स्मरण अवश्य किया जाना चाहियें। बीज मन्त्र का गर्भ होता है।

5. शक्ति- जिसकी सहायता से बीज मन्त्र बन जाता है वह शक्ति कहलाती है। विनियोग ऋषि, छन्द, देवता, बीज, शक्ति एवं कीलक का उल्लेख करते हुये अपनी कामना का

उल्लेख करके (सकाम अथवा निष्काम) विनियोग करने से मन्त्र के फल की दिशा एवं मार्ग तथा प्रतिफल का स्वरूप निर्धारित होता है।

6. ऋषिन्यास- विनियोग के बाद मन्त्र का ऋष्यदिन्यस करके ऋषि, देवता, छन्द, बीज आदि आपके अंग बन जाते हैं और आपके शरीर को मन्त्र-सदृश बना देते हैं।

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@franciscodeasis https://t.co/OuQaBRFPu7
Unfortunately the "This work includes the identification of viral sequences in bat samples, and has resulted in the isolation of three bat SARS-related coronaviruses that are now used as reagents to test therapeutics and vaccines." were BEFORE the


chimeric infectious clone grants were there.https://t.co/DAArwFkz6v is in 2017, Rs4231.
https://t.co/UgXygDjYbW is in 2016, RsSHC014 and RsWIV16.
https://t.co/krO69CsJ94 is in 2013, RsWIV1. notice that this is before the beginning of the project

starting in 2016. Also remember that they told about only 3 isolates/live viruses. RsSHC014 is a live infectious clone that is just as alive as those other "Isolates".

P.D. somehow is able to use funds that he have yet recieved yet, and send results and sequences from late 2019 back in time into 2015,2013 and 2016!

https://t.co/4wC7k1Lh54 Ref 3: Why ALL your pangolin samples were PCR negative? to avoid deep sequencing and accidentally reveal Paguma Larvata and Oryctolagus Cuniculus?
APIs in general are so powerful.

Best 5 public APIs you can use to build your next project:

1. Number Verification API

A RESTful JSON API for national and international phone number validation.

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2. OpenAI API

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3. Currency Data API

Currency Data API provides a simple REST API with real-time and historical exchange rates for 168 world currencies

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4. Weather API

Real-Time & historical world weather data API.

Retrieve instant, accurate weather information for
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