#ॐ #AUM
Benefits of chanting #ॐ

Vibrations produced by chanting AUM penetrate each atom, molecule, tissue, cell of all your body organs thereby resulting in a complete natural message on your body. It also clears impurities in the Nadis (nerves).

Prolonging the exhalation and inhalation process reduces the rate of respiration. You can practice this technique by prolonging M of AUM.  Prolonging M on chanting AUM will reduce the rate of respiration and will cause deep and slow breathing.
Prolonging the O in OM acts as a painkiller and prolongs M as a tranquilizer.
A relaxed mind decreases the blood pressure decreases and improves the health of your heart. This is because of the Stimulation of hormones from pituitary glands that reduce high blood pressure.
Please visit to read this wonderfully explained article.
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#मंत्र_शक्ति #ब्रह्मांड
चरक संहिता में कहा गया है
यथा ब्रह्माण्डे तथा पिण्डे अर्थात मानव शरीर भी ब्रह्माण्ड के अनुसार प्रभावित रहता है।
धरती व अन्य सभी ग्रह अपनी अपनी धुरी और ब्रह्मांड में चलायमान हैं जिससे एक प्रकार का कम्पन्(vibration) होता है। यही कम्पन ब्रह्माण्ड का प्राण है।


सभी ग्रह वृत्ताकार(गोल) हैं व अपनी और ब्रह्माण्ड की वृत्ताकार परिधि में चलते रहते हैं।इस की एक गोल श्रृंखला चलती रहती है जिस श्रृंखला के अंदर और भी श्रृंखलाएं चलती रहती हैं। इसी कम्पन से आकाश गंगा में तारों का सृजन और संहार होता है।


इस कम्पन को हम सुन नही पाते, महसूस नही कर पाते क्योंकि स्थूल शरीर के रूप में हमारी पहुंच सीमित है और इनको सुनना और महसूस करना हमारे शरीर के लिये नुकसान दायक भी होगा।
ऐसे ही हमारे दिमाग़ का अंतरिम हिस्सा भी वृत्ताकार(गोल) है,कोशिकाओं(cells) का स्वरूप भी गोल है


जिसमे धड़कन(heart beat)रूपी कम्पन इनको चलायमान रखता है, संसार मे सृजन करने वाला हर बीज वृत्ताकार है।
हमारे देव स्वरूप ऋषियों ने ब्रह्माण्ड व पिण्ड(शरीर) की इस vibration को जोड़ने के लिए ही मंत्रों का प्रयोग किया है।


क्योंकि मंत्र के वास्तविक उच्चारण से एक प्रकार का vibration का अनुभव होता है जोकि एक सतत प्रक्रिया है जिसे पहले शरीर, मन, मष्तिष्क और फिर उच्चत्तम स्तर पर पहुंचने पर सूक्ष्म शरीर अनुभव करता है और स्वयं को ब्रह्माण्ड की चलायमान ऊर्जा के साथ जोड़ता है।
#ज्योतिष #बुध_ग्रह #उपाय

ज्योतिष में बुध ग्रह को बुद्धि ज्ञान, तर्क, त्वचा व वाणी का कारक माना गया है। कुंडली मे बुध की लाभकारी स्थिति जातक को बुद्धिमान, तार्किक, गणित और अकाउंट्स पर प्रभाव, ज्योतिष में रुचि, वाक्पटु बनाता है।


काव्य संगीत में रुचि, भाषणों/बोली के द्वारा प्रभाव डालने वाला , हँसमुख, कल्पनाशील, लेखनमे रुचि लेने वाला, व्यंगप्रेमी और हाजिरजवाब बनाता है।
ये सेल्स/मार्केटिंग के क्षेत्र में अग्रणी बनाता है।


वहीं बुध के नकारात्मक प्रभाव व्यक्ति को संकोची, बोलने में तुतलाना/हकलाना, सूंघने की क्षमता पर प्रभाव, व्यापार/कार्यक्षेत्र में हानि और दांतों से सम्बंधित समस्याएं देता है।
अलग अलग भाव मे बुध का प्रभाव अलग ही होता है साथ ही दृष्टि संबंध और युति के भी परिणाम बदल जाते हैं।


द्वितीय भाव मे ये बेबी फेस, चेहरे पर लावण्य और व्यक्ति को उसकी आयु से कम दिखाता है।
वैसे तो बुद्ध ग्रह का फ़लित व उपचार हर कुंडली के अनुसार अलग अलग होगा पर यहां कुछ ऐसे उपाय लिख रही हूँ जो सभी कर सकते हैं।
बुधवार को गाय को अंकुरित मूँग खिलाएँ।
बुध की दान सामग्री दान करें।


किन्नरों को हरे कपड़े और चूड़ियाँ दें।
छोटी कन्याओं का पूजन कर उन्हें हरे कपड़े/चूड़ियाँ और मिठाइयां देकर दक्षिणा दें।
माँ दुर्गा की आराधना करें
बहन बुआ बेटियों का सम्मान करें।
बहन को नाक का आभूषण(नाक की लौंग) दें।
तुलसी की सेवा करें सूखने पर तुरंत दूसरी लगा दें।
#ज्योतिष_विज्ञान #मंत्र_विज्ञान

ज्योतिषाचार्य अक्सर ग्रहों के दुष्प्रभाव के समाधान के लिए मंत्र जप, अनुष्ठान इत्यादि बताते हैं।

व्यक्ति के जन्म के समय ग्रहों की स्थिति ही उसकी कुंडली बन जाती है जैसे कि फ़ोटो खींच लिया हो और एडिट करना सम्भव नही है। इसे ही "लग्न" कुंडली कहते हैं।


लग्न के समय ग्रहों की इस स्थिति से ही जीवन भर आपको किस ग्रह की ऊर्जा कैसे प्रभावित करेगी का निर्धारिण होता है। साथ साथ दशाएँ, गोचर इत्यादि चलते हैं पर लग्न कुंडली का रोल सबसे महत्वपूर्ण है।


पृथ्वी से अरबों खरबों दूर ये ग्रह अपनी ऊर्जा से पृथ्वी/व्यक्ति को प्रभावित करते हैं जैसे हमारे सबसे निकट ग्रह चंद्रमा जोकि जल का कारक है पृथ्वी और शरीर के जलतत्व पर पूर्ण प्रभाव रखता है।
पूर्णिमा में उछाल मारता समुद्र का जल इसकी ऊर्जा के प्रभाव को दिखाता है।


अमावस्या में ऊर्जा का स्तर कम होने पर वही समुद्र शांत होकर पीछे चला जाता है। जिसे ज्वार-भाटा कहते हैं। इसी तरह अन्य ग्रहों की ऊर्जा के प्रभाव होते हैं जिन्हें यहां समझाना संभव नहीं।
चंद्रमा की ये ऊर्जा शरीर को (अगर खराब है) water retention, बैचेनी, नींद न आना आदि लक्षण दिखाती है


मंत्र क्या हैं-
मंत्र इन ऊर्जाओं के सटीक प्रयोग करने के पासवर्ड हैं। जिनके जप से संबंधित ग्रह की ऊर्जा को जातक की ऊर्जा से कनेक्ट करके उन ग्रहों के दुष्प्रभाव को कम किया और शुभ प्रभाव को बढ़ाया जाता है।

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1

From today, we will memorize the names of 27 Nakshatras in Vedic Jyotish to never forget in life.

I will write 4 names. Repeat them in SAME sequence twice in morning, noon, evening. Each day, revise new names + recall all previously learnt names.

Pls RT if you are in.

2

Today's Nakshatras are:-

1. Ashwini - अश्विनी

2. Bharani - भरणी

3. Krittika - कृत्तिका

4. Rohini - रोहिणी

Ashwini - अश्विनी is the FIRST Nakshatra.

Repeat these names TWICE now, tomorrow morning, noon and evening. Like this tweet if you have revised 8 times as told.

3

Today's Nakshatras are:-

5. Mrigashira - मृगशिरा

6. Ardra - आर्द्रा

7. Punarvasu - पुनर्वसु

8. Pushya - पुष्य

First recall previously learnt Nakshatras twice. Then recite these TWICE now, tomorrow morning, noon & evening in SAME order. Like this tweet only after doing so.

4

Today's Nakshatras are:-

9. Ashlesha - अश्लेषा

10. Magha - मघा

11. Purvaphalguni - पूर्वाफाल्गुनी

12. Uttaraphalguni - उत्तराफाल्गुनी

Purva means that comes before (P se Purva, P se pehele), and Uttara comes later.

Read next tweet too.

5

Purva, Uttara prefixes come in other Nakshatras too. Purva= pehele wala. Remember.

First recall previously learnt 8 Nakshatras twice. Then recite those in Tweet #4 TWICE now, tomorrow morning, noon & evening in SAME order. Like this tweet if you have read Tweets #4 & 5, both.