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जन्मदिवस विशेष

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की 6 अच्छी बातें जो उनसे सीख सकते हैं:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने आप को युथ के अनुसार सबसे अधिक ढाला है। कार्यों को लेकर उनका जुनून, यूथ से लगातार जुड़े रहना, टेक्‍नोलॉजी से अपडेट रहना..

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जमी से आसमां तक के फैसले उन्होंने इस कदर लिए है कि उनसे सीखने के लिए बहुत कुछ है। राजनीति दष्टि को एकतरफ रखते हैं तो उनमें कई सारी ऐसी स्किल्‍स है जो जीवन में हमेशा काम आएगी। तो आइए जानते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 6 कौन सी अच्‍छी बातें हैं जो जरूर सीखना चाहिए -

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1. लीडरशीप स्किल - पीएम मोदी से लीडरशीप स्किल जरूर सीखना चाहिए। एक बार मंच से संबोधित करते हुए उन्‍होंने कहा था कि, 'अपने सबऑर्डिनेट से हमेशा एक घंटा अधिक काम करना चाहिए। ताकि अपने तजुर्बे से तुम उन्हें आगे की रणनीति बता सकों।

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2.विनम्रता - पीएम मोदी ने हमेशा जगह को देखते हुए अपने भाषण को उस अनुसार प्रस्‍तुत किया। जब देश को गंभीर मुद्दे पर संबोधित करते हैं तब वह कभी उग्र तो एकदम विनम्र भाव में जनता से अपील करते हैं। जब विदेश में भारत को प्रस्‍तुत करते हैं तो उनके प्रजेंटेशन स्किल पूरी तरह से बदल जाती है
जोश से वह भारत को प्रस्‍तुत करते हैं और जब कोई उनसे कोई सवाल करता है तब उसका सहजता और विनम्रता से उत्‍तर देते हैं।

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3. मास अपील - प्रधानमंत्री मोदी को अपनी पर्सनालिटी के कारण युथ आइकॉन का टैग भी मिला। वह जनता के बीच में अपने कार्यों, अपने बोलने की कला, जनता से लगातार जुड़े रहने की अलग - अलग कला से मास अपील बन गए।

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इससे यह सीख मिलती है कि आपकी आयु मायने नहीं करती है लेकिन पर्सनालिटी को हमेशा मैंटेन करके रखें।

4.फिटनेस - आज पीएम मोदी को देखकर सब यहीं कहते हैं कि वह कितने फीट लगते हैं। दरअसल, उनकी इस फीटनेस का राज है योग। योग दिवस की शुरूआत पीएम मोदी की पहल से हुई।

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27 सितंबर 2014 को पीएम मोदी ने UN में सुंयक्‍त राष्‍ट्र महासभा में समूचे विश्‍व को एकसाथ योग करने की बात कही थी। 11 दिसंबर 2014 को इस प्रस्‍ताव को स्‍वीकार किया गया। साल 2015 से योग दिवस हर साल मनाया जाता है।

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5.टेक्‍नोलॉजी से लगाव - पीएम मोदी को देखकर उनकी आयु का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। लेकिन वह टेक्‍नोलॉजी फ्रिक है। राजनीति में तो अच्‍छी पारी वह खेल रहे हैं लेकिन बदलते वक्‍त को देखते हुए टेक्‍नोलॉजी से भी अपडेट हो रहे हैं।

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अपने UAE की यात्रा के दौरान उन्‍होंने लिखा था 'विज्ञान जीवन है'। वहीं 2014 चुनाव में कैंपेन के दौरान टेक्‍नोलॉजी का उन्‍होंने बखूबी इस्‍तेमाल किया था।

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6.बोलने की कला - अगर आप सच में स्पिकिंग स्किल को सुधारना चाहते हैं तो पीएम नरेंद्र सबसे अच्‍छा उदाहरण है। बिल गेट्स ने एक कहा था, '21वीं सदी में प्रजेंटेश स्किल सबसे महत्‍वपूर्ण स्किल है।

#जन्मदिन_की_हार्दिक_शुभकामनाएं_मोदी_जी
#HappyBirthdayModiji
#जय_हिंद
#वंदेमातरम
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#Long_Thread
भगवान सदैव अपने भक्तों की सुनते हैं, और उसका उदाहरण आपके सामने रख रहा हूँ जिसे पढ़ कर आपके रौंगटे खड़े हो जाएंगे।

दिनांक: 1 नवंबर 1979

समय: रात्रि 1 बजे

स्थान: तिरुपति मंदिर, आंद्र प्रदेश

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पूरा तिरुपति शहर और स्वयं भगवान श्रीमन्नारायण भी शयन कर रहे थे और घनघोर शांत रात्रि थी की इतने में ही…

ठंन्न ठंन्न ठंन्न ठंन्न!

तिरुपति मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर के श्रीविग्रह के ठीक आगे जो बड़ा सा घंट है वो अपने आप हिलने लगा..

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और उस घंट नाद से पूरा तिरुपति शहर एकदम आश्चर्य में भरकर उठ खड़ा हुआ।

मंदिर रात्रि 12 बजे पूर्ण रूप से बंद हो गया था, फिर ये कैसी घंटा नाद की ध्वनि आ रही है?
कोई भी जीवित व्यक्ति मंदिर में रात्रि 12 के बाद रहना संभव नही, तो फिर किसने ये घंटा नाद किया?

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कोई जीव-जंतु मंदिर में प्रवेश नही कर सकते क्योंकि सारे द्वार बंद है, तो फिर ये कौन है?
मंदिर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री पी वी आर के प्रसाद के नेत्रो में अश्रु थे क्योंकि केवल वे जान पा रहे थे कि ये केवल घंटा नाद नही है..

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ये भगवान ने अपना संकेत दे दिया है मेरे "वरुण जाप" की सफलता के लिए।

भगवान के सभी भक्त यह घटना बड़ी श्रद्धा से पढ़ें :-

यह अलौकिक दिव्य चमत्कारी घटना सन् 1979 नवंबर माह की हैं।

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रुद्राभिषेक पाठ एवं इसके भेद:

पूरा संसार अपितु पाताल से लेकर मोक्ष तक जिस अक्षर की सीमा नही ! ब्रम्हा आदि देवता भी जिस अक्षर का सार न पा सके उस आदि अनादी से रहित निर्गुण स्वरुप ॐ के स्वरुप में विराजमान जो अदितीय शक्ति भूतभावन कालो के भी काल गंगाधर भगवान महादेव को प्रणाम करते है।

अपितु शास्त्रों और पुरानो में पूजन के कई प्रकार बताये गए है लेकिन जब हम शिव लिंग स्वरुप महादेव का अभिषेक करते है तो उस जैसा पुण्य अश्वमेघ जैसे यग्यों से भी प्राप्त नही होता ! स्वयं श्रृष्टि कर्ता ब्रह्मा ने भी कहा है की...

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जब हम अभिषेक करते है तो स्वयं महादेव साक्षात् उस अभिषेक को ग्रहण करने लगते है। संसार में ऐसी कोई वस्तु , कोई भी वैभव , कोई भी सुख , ऐसी कोई भी वास्तु या पदार्थ नही है जो हमें अभिषेक से प्राप्त न हो सके! वैसे तो अभिषेक कई प्रकार से बताये गये है। लेकिन मुख्या पांच ही प्रकार है 👇👇

1) रूपक या षड पाठ - रूद्र के छः अंग कहे गये है इन छह अंग का यथा विधि पाठ षडंग पाठ कहा गया है।

शिव कल्प सूक्त - प्रथम हृदय रूपी अंग है

पुरुष सूक्त - द्वितीय सर रूपी अंग है

उत्तरनारायण सूक्त - शिखा है

अप्रतिरथ सूक्त - कवचरूप चतुर्थ अंग है

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मैत्सुक्त - नेत्र रूप पंचम अंग कहा गया है

शतरुद्रिय - अस्तरूप षष्ठ अंग कहा गया है

इस प्रकार - सम्पूर्ण रुद्राष्टाध्यायी के दस अध्यायों का षडडंग रूपक पाठ कहलाता है षडंग पाठ में विशेष बात है की इसमें आठवें अध्याय के साथ पांचवे अध्याय की आवृति नही होती है..

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