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Today, August 29th is the 116th birthday of Major Dhyan Chand, the ‘Wizard of hockey’. In his career span of 22 years, he scored 400 goals & earned 3 Olympic gold medals for India while playing barefoot. #MajorDhyanChand
@saket71
@Sanjay_Dixit

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Impressed by his game, Adolf Hitler offered him German citizenship & the rank of a Colonel in the German Military which he blatantly declined, saying : “I eat of India & I will stay loyal to my country.” He practiced in the moonlight, giving him the name ‘Chand’, i.e. the moon.
His marvellous games forced the Netherland officials to break his hockey stick to see if there was a magnet inside. Vienna, Austria has a statue of Dhyan Chand with 4 hands & 4 hockey sticks depicting his mastery over the game. @SanjeevSanskrit
#NationalSportsDay

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The life of a sports person is really difficult, with sweat, perseverance & constant struggle. So lets take a minute to honour such great people in History who have done India proud.
#MajorDhyanChand #NationalSportsDay #BharatRatnaForMajorDhyanChand

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जन्मदिवस विशेष

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की 6 अच्छी बातें जो उनसे सीख सकते हैं:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने आप को युथ के अनुसार सबसे अधिक ढाला है। कार्यों को लेकर उनका जुनून, यूथ से लगातार जुड़े रहना, टेक्‍नोलॉजी से अपडेट रहना..

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जमी से आसमां तक के फैसले उन्होंने इस कदर लिए है कि उनसे सीखने के लिए बहुत कुछ है। राजनीति दष्टि को एकतरफ रखते हैं तो उनमें कई सारी ऐसी स्किल्‍स है जो जीवन में हमेशा काम आएगी। तो आइए जानते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 6 कौन सी अच्‍छी बातें हैं जो जरूर सीखना चाहिए -

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1. लीडरशीप स्किल - पीएम मोदी से लीडरशीप स्किल जरूर सीखना चाहिए। एक बार मंच से संबोधित करते हुए उन्‍होंने कहा था कि, 'अपने सबऑर्डिनेट से हमेशा एक घंटा अधिक काम करना चाहिए। ताकि अपने तजुर्बे से तुम उन्हें आगे की रणनीति बता सकों।

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2.विनम्रता - पीएम मोदी ने हमेशा जगह को देखते हुए अपने भाषण को उस अनुसार प्रस्‍तुत किया। जब देश को गंभीर मुद्दे पर संबोधित करते हैं तब वह कभी उग्र तो एकदम विनम्र भाव में जनता से अपील करते हैं। जब विदेश में भारत को प्रस्‍तुत करते हैं तो उनके प्रजेंटेशन स्किल पूरी तरह से बदल जाती है


जोश से वह भारत को प्रस्‍तुत करते हैं और जब कोई उनसे कोई सवाल करता है तब उसका सहजता और विनम्रता से उत्‍तर देते हैं।

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क्यों जरूरी है श्राद्ध, क्या है पितृ पक्ष का महत्व और क्या है सही विधि

भारतीय महीनों की गणना के अनुसार भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को सृष्टि पालक भगवान विष्णु के प्रतिरूप श्रीकृष्ण का जन्म धूमधान से मनाया जाता है।
#पितृपक्ष

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तदुपरांत शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को प्रथम देव गणेशजी का जन्मदिन यानी गणेश महोत्सव के बाद भाद्र पक्ष माह की पूर्णिमा से अपने पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा का महापर्व शुरू हो जाता है।

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इसको महापर्व इसलिए बोला जाता है क्योंकि नौदुर्गा महोत्सव नौ दिन का होता है, दशहरा पर्व दस दिन का होता है, पर यह पितृ पक्ष सोलह दिनों तक चलता है।

हिंदू धर्म की के अनुसार अश्विन माह के कृष्ण पक्ष से अमावस्या तक अपने पितरों के श्राद्ध की परंपरा है।

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यानी कि 12 महीनों के मध्य में छठे माह भाद्र पक्ष की पूर्णिमा से (यानी आखिरी दिन से) 7वें माह अश्विन के प्रथम पांच दिनों में यह पितृ पक्ष का महापर्व मनाया जाता है।

सूर्य भी अपनी प्रथम राशि मेष से भ्रमण करता हुआ जब छठी राशि कन्या में एक माह के लिए भ्रमण करता है...

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तब ही यह सोलह दिन का पितृ पक्ष मनाया जाता है। उपरोक्त ज्योतिषीय पारंपरिक गणना का महत्व इसलिए और भी बढ़ जाता है क्योंकि शास्त्रों में भी कहा गया है कि आपको सीधे खड़े होने के लिए रीढ़ की हड्डी यानी बैकबोन का मजूबत होना बहुत आवश्यक है...

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