Sri Maha Bhairavar Rudhra alayam, Chengalpet, Tamilnadu

This temple is being constructed merely on the instructions from Bhairava by his devotee Shri Bhairava Siddhantham Swamy. The Temple is fully enshrinedin a transparent glass enclosure..1/n

with Rudrakshas on both the sides of the entrance This temple has a circular Sanctum Sanctorum which has twelve stepseach representing a sign of zodiac and after that twelve steps we find the supreme deity of this temple Sri Kshetra Paata Bhairava. 2/n
Beneath the Bhairava, in the lower level are installed the Ashta Bhairavas, SapthaRishis in the form of stones, and Saptha Kannis in the form of brass lamps. Thereare a number of little blue and white lights in the ceiling that is shaped like a dome.. 3/n
which give an ethereal atmosphere when switched on. The steps representthe twelve signs of the zodiac and when one steps over them to reach thesanctum sanctorum all the doshas pertaining to the horoscope are cleared onceand for all..4/n
The Sthala Vriksham ”Peepal Tree” which is grown on a pedestal, a trident which is considered as Bhairavi, Pancha Mukha Anjaneya, Prathyankara Devi, Subramanya, Rudra Vinayaga, Vaishnavi Devi, Naga Rudra, Eswara, Vana Durga etc. 5/5

#IncredibleBharat
#DekhoApnaDesh
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कौन से ऋषि का क्या है महत्व:

अंगिरा ऋषि :-

ऋग्वेद के प्रसिद्ध ऋषि अंगिरा ब्रह्मा के पुत्र थे। उनके पुत्र बृहस्पति देवताओं के गुरु थे। ऋग्वेद के अनुसार, ऋषि अंगिरा ने सर्वप्रथम अग्नि उत्पन्न की थी।

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विश्वामित्र ऋषि :-

गायत्री मंत्र का ज्ञान देने वाले विश्वामित्र वेदमंत्रों के सर्वप्रथम द्रष्टा माने जाते हैं। आयुर्वेदाचार्य सुश्रुत इनके पुत्र थे। विश्वामित्र की परंपरा पर चलने वाले ऋषियों ने उनके नाम को धारण किया। यह परंपरा अन्य ऋषियों के साथ भी चलती रही।

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वशिष्ठ ऋषि :-

ऋग्वेद के मंत्रद्रष्टा और गायत्री मंत्र के महान साधक वशिष्ठ सप्तऋषियों में से एक थे। उनकी पत्नी अरुंधती वैदिक कर्मो में उनकी सहभागी थीं।

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कश्यप ऋषि :-

मारीच ऋषि के पुत्र और आर्य नरेश दक्ष की १३ कन्याओं के पुत्र थे। स्कंद पुराण के केदारखंड के अनुसार, इनसे देव, असुर और नागों की उत्पत्ति हुई।

जमदग्नि ऋषि :-

भृगुपुत्र यमदग्नि ने गोवंश की रक्षा पर ऋग्वेद के १६ मंत्रों की रचना की है।

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केदारखंड के अनुसार, वे आयुर्वेद और चिकित्साशास्त्र के भी विद्वान थे।

अत्रि ऋषि :-

सप्तर्षियों में एक ऋषि अत्रि ऋग्वेद के पांचवें मंडल के अधिकांश सूत्रों के ऋषि थे। वे चंद्रवंश के प्रवर्तक थे। महर्षि अत्रि आयुर्वेद के आचार्य भी थे।

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क्या आप जानते हैं गुरुकुल कैसे खत्म हो गये ?

भारतवर्ष में गुरुकुल कैसे खत्म हो गये ?
कॉन्वेंट स्कूलों ने किया बर्बाद, 1858 में Indian Education Act बनाया गया।
इसकी ड्राफ्टिंग ‘लोर्ड मैकोले’ ने की थी।
#भारत_मांगे_गुरुकुल

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लेकिन उसके पहले उसने यहाँ (भारत) के शिक्षा व्यवस्था का सर्वेक्षण कराया था, उसके पहले भी कई अंग्रेजों ने भारत की शिक्षा व्यवस्था के बारे में अपनी रिपोर्ट दी थी।
अंग्रेजों का एक अधिकारी था G.W. Litnar
और दूसरा था Thomas Munro
#भारत_मांगे_गुरुकुल

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दोनों ने अलग अलग इलाकों का अलग-अलग समय सर्वे किया था। Litnar, जिसने उत्तर भारत का सर्वे किया था,
उसने लिखा है कि यहाँ 97% साक्षरता है
और Munro, जिसने दक्षिण भारत का सर्वे किया था, उसने लिखा कि यहाँ तो 100% साक्षरता है।
#भारत_मांगे_गुरुकुल

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मैकोले का स्पष्ट कहना था कि भारत को हमेशा-हमेशा के लिए अगर गुलाम बनाना है
तो इसकी “देशी और सांस्कृतिक शिक्षा व्यवस्था” को पूरी तरह से ध्वस्त करना होगा
और उसकी जगह “अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था” लानी होगी...

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और तभी इस देश में शरीर से हिन्दुस्तानी लेकिन दिमाग से ~अंग्रेज_पैदा_होंगे और जब इस देश की यूनिवर्सिटी से निकलेंगे तो हमारे हित में काम करेंगे। मैकाले एक मुहावरा इस्तेमाल कर रहा है :
“कि जैसे किसी खेत में कोई फसल लगाने के पहले पूरी तरह जोत दिया जाता है वैसे ही इसे जोतना होगा 👇👇

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